सचिन वाझे निकला एंटीलिया केस का मास्टरमाइंड, एक ख़ास मकसद के लिए रची थी साजिश
मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक से भरी कार रखने के मामले को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए ने लगभग सुलझा लिया है और एनआईए के अनुसार इस पूरी साजिश के पीछे मुंबई पुलिस के अधिकारी रहे सचिन वाझे का हाथ था। सचिन वाझे ने पूरी प्लानिंग के तहत ये सब किया था। अपनी जांच में एनआईए ने पाया है कि सीसीटीवी फुटेज में जो शख्स अंबानी के घर के पास दिख रहा था। वो कोई ओर नहीं वाझे ही था। एनआईए ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में सचिन वाझे को अपने सिर को बड़े रूमाल से ढंकते हुए देखा जा सकता है, ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। उन्होंने अपनी बॉडी लैंग्वेज और चेहरे को ढकने के प्रयास में एक ओवर साइज़्ड कुर्ता-पायजामा पहना था। वो पीपीई किट नहीं था।
एजेंसी ने अनुसार वाझे का जो लैपटॉप सीज किया गया था। उसके सारे डेटा डिलीट कर दिए गए थे। जांच के दौरान पकड़े जाने के डर से सचिन वाझे ने जानबूझकर अपना फोन फेंक दिया था। अधिकारी ने बताया कि एनआईए की टीम ने वाझे के दफ्तर की तलाशी के दौरान वहां से कुछ ‘आपत्तिजनक दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जैसे लैपटॉप, आई-पैड और मोबाइल फोन बरामद किए हैं। तलाशी सोमवार शाम करीब आठ बजे शुरू हुई थी और मंगलवार सुबह चार बजे तक चलती थी।
In the CCTV footage, Sachin Waze could be seen with his head covered with a large handkerchief so that no one could identify him. He was wearing an oversized kurta-pajama, and not PPE coverall, in an attempt to mask his body language & face: National Investigation Agency (NIA)
— ANI (@ANI) March 17, 2021
अभी तक की जांच में पाया गया है कि सचिन वाझे ने मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से लदी कार खड़ी करने की साजिश खुद को फिर से सुर्खियों में लाने के लिए रची थी। एक समय में ये काफी मशहूर थे। इन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का जाता था। इन्हें साल 2004 में ख्वाजा यूनुस नाम के एक शख्स की पुलिस हिरासत में हुई मौत के सिलसिले में सस्पेंड किया था। साल 2020 में पुलिस विभाग में इसकी वापसी हुई थी। वहीं एक बार फिर से अपनी काबिलियत दिखाने के लिए इन्होंने ये सब किया। लेकिन ये पकड़ा गया। जब इनसे एनआईए ने पूछताछ की तो इन्होंने कई सारी झूठी कहानी भी सुनाई। लेकिन एनआईए ने इनका पर्दाफाश कर दिया।
गौरतलब है कि अंबानी के घर के पास से विस्फोटक लदी एसयूवी बरामद हुई थी। एसयूवी के मालिक से पुलिस ने इस मामले में पूछताछ की थी। जिसमें व्यावसायी मनसुख हिरेन ने अपनी गाड़ी चोरी होने की बात कही थी। वहीं कुछ समय बाद संदिग्ध परिस्थितियों में हिरेन की मौत हो गई। जिसके बाद हिरेन की पत्नी ने वाझे पर आरोप लगाया था कि एसयूवी का कुछ समय तक वाझे ने इस्तेमाल किया था।
वहीं जब एनआईए ने इस मामले की जांच की तो वाझे से सबसे पहले पूछताछ की गई। जिसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जांच आगे बढ़ी तो एनआईए के हाथ कई सारे सबूत लगे। एनआईए को एक मर्सिडीज मिली जो कि वाझे इस्तेमाल किया करते थे। इस कार से 5 लाख कैश, नोट गिनने की मशीन, कुछ दस्तावेज, बियर की बोतलें मिली हैं और एसयूवी की नंबर प्लेट हाथ लगी।। कहा जाता है कि सचिन वाझे ये कार पुलिस कमिश्नर के दफ्तर आने-जाने के लिए इस्तेमाल करते थे। स्कॉर्पियो और इनोवा की तरह ही इसकी भी नंबर प्लेट फर्जी निकलीं। ये कार किसी मनीषा भावसर के नाम रजिस्टर्ड है।