अध्यात्म

एक समय पर संसार में हुआ करता था अंधकार, सूर्य की उत्पत्ति से आया था प्रकाश, पढ़ें इनकी जन्म कथा

रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है और इस दिन इनकी पूजा करने से कई सारे लाभ मिलते हैं। मान्यता है कि जो लोग रविवार को सच्चे मन से सूर्य देव का पूजन करते हैं, उनकी सेहत सही बनीं रहती है और रोगों से उनकी रक्षा होती है। रविवार के दिन सूर्य देव का व्रत रखना भी सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। ये व्रत रखने से सुख और शांति जीवन में बनीं रहती है।

इस तरह हुआ था सूर्य देव का जन्म

सू्य देव का जन्म कैसे हुआ था। इसके बारे में काफी कम लोगों को ही जानकारी है। सूर्य देव के जन्म से एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। जो कि इस प्रकार है। कहा जाता कि पहले इस संसार में प्रकाश नहीं था और ये जगत प्रकाश रहित था।। उस समय कमलयोनि ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उनके मुख से प्रथम शब्द ॐ निकला। जो सूर्य का तेज रुपी सूक्ष्म रूप था। तत्पश्चात ब्रह्मा जी के ही चार मुखों से चार वेद प्रकट हुए और ॐ के तेज में एकाकार हुआ।

संसार में प्रकाश लाने के लिए ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर सूर्य ने अपने महातेज को समेट लिया। ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि हुए, जिनके पुत्र ऋषि कश्यप का विवाह अदिति से हुआ। अदिति ने घोर तप कर भगवान सूर्य को प्रसन्न किया। इन्होंने भगवान सूर्य से बच्चे की कामना की। जिसके बाद सूर्य देव ने सुषुम्ना नाम की किरण से उसके गर्भ में प्रवेश किया। गर्भावस्था में भी अदिति चान्द्रायण जैसे कठिन व्रत करती रही। जिससे की ऋषि राज कश्यप नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि तुम इस तरह उपवास रख कर गर्भस्थ शिशु को क्यों मारना चाहती हो। ये सुन कर देवी अदिति ने गर्भ के बालक को उदर से बाहर कर दिया, जो अपने अत्यंत दिव्य तेज से प्रज्वल्लित हो रहा था। माना जाता है कि भगवान सूर्य शिशु रूप में उस गर्भ से प्रगट हुए। ब्रह्मपुराण में अदिति के गर्भ से जन्मे सूर्य के अंश का उल्लेख विस्तार में किया गया है।

पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य के अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है। ग्रंथों के अनुसार जो लोग प्रतिदिन सुबह तांबे के लोटे में जल भरकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं, उनसे सूर्य देव प्रसन्न हो जाते हैं। सूर्य देव ऐसे लोगों की हर मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। अर्घ्यदान करने से आयु, आरोग्य, धन, पुत्र, मित्र, तेज, यश, वैभव और सौभाग्य मिलता है। सूर्य देव को ऊर्जा से भी जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि सूर्य देव की पूजा करने से शरीर में ऊर्जा बनीं रहती है।

इस तरह से करें सूर्य देव की पूजा

  • रविवार के दिन जरूर सूर्य देव की पूजा करें। सूर्य की पूजा करने के लिए एक चौंकी पर इनकी मूर्ति व तस्वीर रखें। उसके बाद इन्होंने फल, फूल अर्पित करें।
  • धूप जला दें और इनसे जुड़ी कथा व मंत्रों का जाप करें।
  • पूजा पूरी होने के बाद सूर्य देव की आरती गाएं।
  • आरती के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। तांबे के लोटे में जल, फूल और चावल डाल लें। इस पानी को सूरज को देखते हुए अर्पित करें।

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