अयोध्या में बन रहे राम मंदिर पर बोले स्वरूपानंद, मंदिर नहीं यहां बनाया जा रहा है विहिप कार्यालय
ज्योतिष्पीठ और द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट पर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन पर उंगली उठाते हुए कहा कि इस ट्रस्ट में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है। जो भगवान राम के मंदिर निर्माण के लिए प्राण प्रतिष्ठा करने लायक हो। शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कहा कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर नहीं, बल्कि विहिप का कार्यालय बनाने की रूपरेखा तैयार की गई है।
शंकराचार्य स्वरूपानंद ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि विहिप और आरएसएस के लोग भगवान राम को महापुरुष मानते हैं। उनके लिए प्रभु राम भगवान नहीं हैं। यही वजह है कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर नहीं, बल्कि आने वाले दिनों में विहिप का कार्यालय बनाया जाने वाला है। कुछ महीने पहले प्रयागराज में दो महापुरुषों के साथ भगवान राम की मूर्ति रखी गई थी। जबकि,लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि भगवान राम महापुरुष नहीं हैं।
मौनी अमावस्य पर संगम स्नान के लिए शनिवार को कटनी (एमपी) से चलकर यमुना किनारे सरस्वती घाट स्थित मनकामेश्वर मंदिर पहुंचे शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कहा कि उनके रामालय ट्रस्ट में शंकराचार्य के अलावा रामानंदाचार्य और सभी 13 अखाड़ों के भी प्रतिनिधि थे। जबकि, मौजूदा सरकार के मंदिर ट्रस्ट में ऐसा संतुलन नहीं है। हम हमेशा चाहते रहे हैं अयोध्या सनातनधर्मियों का सबसे बड़ा आराधनास्थल बने। मंदिर बनने के लिए दिए जा रहे धन पर इन्होंने कहा कि धन इकट्ठा किया जा चुका है, लेकिन उसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। सोने की ईट के लिए भी धन इकट्ठा किया गया था।
गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी के साथ किया जा रहा है। ये मंदिर बनाने के लिए सरकार की ओर से एक ट्रस्ट का गठन किया गया है जो कि इस मंदिर के निर्माण कार्य को देख रहा है और मंदिर के लिए मिला चंदा जमा कर रहा है। इसी ट्र्स्ट पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने सवाल खड़े किए हैं। इसके अलावा किसान आंदोलन पर भी इन्होंने अपनी बात रखी और कहा कि सरकार नोटबंदी से लेकर कृषि कानूनों तक एक पक्षीय फैसले ले रही है। ये अफसोसजनक है।