लापता बेटी ढूंढने के लिए पुलिस ने मांगे डीजल के पैसे, अपाहिज मां ने भीख मांग दिए 12 हजार रुपए
वैसे तो पुलिस विभाग हमेशा से ही लोगों की मदद को एक्टिव रहता है, लेकिन कभी कभी कुछ लोगों के लालच और भ्रष्टाचार के चलते खाकी वर्दी का नाम खराब होता है। अब उत्तर प्रदेश के चकेरी के सनिगवां गांव की रहने वाली गुड़िया नाम की महिला की दुखभरी दास्तान ही सुन लीजिए। यह महिला एक पैर से अपाहिज है। भीख मांग अपना गुजारा करती है।
हाल ही में इस दिव्यांग महिला की 15 साल की बेटी गायब हो गई। उसने रिश्तेदारों पर उसे अगवा करने का आरोप लगाया। वह इसकी शिकायतक लिखवाने पुलिस स्टेशन भी गई थी। लेकिन जब जब वह बेटी की अपडेट लेने जाती उसे फटकार लगाकर वहां से भगा दिया जाता था। उसने यह भी आरोप लगाया कि वह मदद के लिए सीएम ऑफिस भी गई थी लेकिन वहां भी उसकी कोई सहायता नहीं की गई।
महिला का यह भी आरोप है कि वह अभी तक बेटी को खोजने के लिए अपनी भीख की कमाई से करीब 10 से 12 हजार रुपए का डीजल पुलिस की गाड़ी में भरवा चुकी है। महिला का कहना है कि सनिगवां चौकी प्रभारी ने उसे बुलाकर कहा था कि बेटी को तलाशना है तो गाड़ी में डीजल भरवाना पड़ेगा। इस तरह दारोगा ने चार बार ढाई ढाई हजार का डीजल गाड़ी में भरवा लिया। महिला का कहना है कि उसके पैसे भी बर्बाद हो गए और बेटी भी नहीं मिली।
इसके बाद वह अपनी दुखभरी दास्तान लेकर डीआइजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह के पास पहुंची। इस दुखयारी महिला की कहानी सुन डीआइजी का दिल पसीज गया। उन्होंने तुरंत अपने स्टाफ को महिला की लापता बेटी को खोजने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने महिला को खुद अपनी गाड़ी से घर भिजवाया। साथ ही डीआइजी ने कहा कि आरोपी दारोगा के खिलाफ जांच कराई जाएगी।
प्रकरण में थाना चकेरी पर अभियोग पंजीकृत है लड़की की बरामदगी हेतु CO CANTT के निर्देशन में 04 टीमे गठित की गयी, पीड़ित महिला को पुलिस स्कार्ट कार से थाना भिजवाया गया तथा #DIG/SSP-KNR द्वारा चौकी इंचार्ज सनिगवां उ0नि0 राजपाल सिंह को लाइन हाजिर कर विभागीय जांच के आदेश दिये गये। pic.twitter.com/8LduYjgASB
— Kanpur Nagar Police (@kanpurnagarpol) February 1, 2021
डीआइजी की मदद के बाद अपाहिज मां की जान में जान आई। उसे उम्मीद की एक किरण दिखाई दी। अब शायद उसकी लापता बेटी जल्द ही मिल जाएगी। अपनी बेटी को खोजने के लिए इस मां ने जो कुछ भी किया वह सराहनीय है। पर सिस्टम के अंदर पनप रहे भ्रष्टाचार ने इसकी मेहनत पर पानी फेर दिया। हालांकि हर जगह अच्छे और बुरे लोग दोनों होते हैं। दारोगा ने भले महिला को लूटा हो लेकिन डीआईजी ने उसकी मदद को आगे आकार ये साबित कर दिया कि पुलिस विभाग में अच्छे लोग भी होते हैं।
वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है? क्या आपको कभी किसी पुलिस हेल्प के बदले रिश्वत देना पड़ी है?