ISI और खालिस्तान ने मिलकर की थी दिल्ली हिंसा की प्लानिंग, सीमा पार से की गई थी फंडिंग
ट्रैक्टर रैली की आड़ में गणतंत्र दिवस का माहौल खराब करने की कोशिश की गई थी। रैली के नाम पर दिल्ली की सड़कों पर हिंसा की गई और पुलिसकर्मियों पर उग्र किसानों की ओर से हमला भी किया गया। इस हिंसा के दौरान 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल भी हुए। वहीं अब इस हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और हिंसा के पीछे आइएसआइ-खालिस्तान का हाथ बताया जा रहा है।
अभी तक की हुई पड़ताल में पाया गया है कि दोनों ने मिलकर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को भड़काया है और इस हिंसा की फंडिंग भी की है। उपद्रव करने वालों को पैसे दिए गए हैं। आइएसआइ-खालिस्तान के इशारों पर ही दिल्ली की सड़कों पर ये हिंसा हुई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल तमाम संदिग्धों की पहचान करने में लगी हुई है और इसके लिए पुलिस अधिकारी पंजाब और कश्मीर की पुलिस से भी मदद ले रह हैं।
दिल्ली पुलिस को तीन सौ से ज्यादा ऐसे नए ट्विटर अकाउंट का पता चला था, जो कि इस हिंसा के मकसद से ही बनाए गए थे। इन अकाउंट में भड़काऊ पोस्ट मिले हैं। पुलिस के अनुसार इन सभी का संचालन फर्जी नाम व खाते से किया जा रहा था और ये सभी पकिस्तान की चाल है। जांच में ये भी बात सामने आई कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने खालिस्तान समर्थकों के साथ मिलकर गणतंत्र दिवस पर हिंसा करवाने की साजिश रची थी।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार खालिस्तान समर्थक ने पाकिस्तान के इशारे पर लोगों को भड़काया। जिसके कारण ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा हो गई। खालिस्तान समर्थकों ने ही गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर झंडा फहराया। प्रारंभिक जांच के अनुसार गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने पर लोगों को इनाम देने की घोषणा भी खालिस्तान समर्थकों की ओर से की गई थी।
आइएसआइ की ओर से इस पूरी हिंसा के लिए पैसे भी दिए गए थे। जो कि अवैध हथियार और मादक पदार्थ की तस्करी से प्राप्त किए गए। गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस पर किसान नेताओं ने ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया था। लेकिन इस रैली ने उग्र रुप ले लिया था और दिल्ली की सड़कों पर किसानों द्वारा हुड़दंग मचाया गया था। इन लोगों को काबू करने में दिल्ली पुलिस को खासा मेहनत करनी पड़ी थी।