मिस्बा हाशमी ने सुनाई लाल किले में हुई हिंसा की खौफनाक कहानी, 1 साल पहले PM ने की थी इनकी तारीफ
गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ओर से की गई हिंसा के कारण कई सारे लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। इन्हीं लोगों में से एक यमुनानगर की मिस्बा हाशमी भी हैं, जो कि किसानों द्वारा की गई हिंसा के कारण पांच घंटे तक लाल किले में फंसी रही। दरअसल सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की झांकी में सीएचसी का प्रतिनिधित्व करने के लिए गणतंत्र दिवस की परेड में मिस्बा हाशमी भी अपनी टीम के साथ गई थी। इनकी झांकी लाल किले के पास आकर खत्म हुई और उसी वक्त किसानों के उग्र आंदलोन के कारण ये वहां पर फंस गई।
मिस्बा हाशमी के साथ ओर लोग भी मौजूद थे जो कि अचानक से शुरू हुई हिंसा के कारण लाल किले में फंस गए। सूचना मिलने पर सुरक्षाकर्मियों ने इन्हें रेस्क्यू किया। ये लोग करीब पांच घंटे तक यहां फंसे रहे। अपने साथ हुई इस भयानक हादसे पर मिस्बा हाशमी ने कहा कि डरावना मंजर देखकर सभी की सांस अटक गई थी। उपद्रवी सुरक्षाकर्मियों पर भी हमला कर रहे थे। सभी को ये देखकर काफी डर लग रहा था। तभी कुछ सुरक्षाकर्मी उनके पास आए और उन्होंने बचाया। उनके साथ मौजूद करीब डेढ़ सौ युवाओं को सुरक्षा कर्मी लाल किले के अंदर ले गए। पुलिसकर्मियों ने सभी लोगों को दीवार से दुबक कर बैठने को कहा।
मिस्बा हाशमी के अनुसार इतनी देर में ही बाहर से तेज आवाज आने लगी। जिससे वो काफी डर गए। इस तरह से पांच घंटे इन्होंने खौफ में निकाले। सुबह से ये लोग भूखे प्यास लाल किले के अंदर छुपकर बैठे रहे। मिस्बा ने बताया कि मोबाइल से उसने युवाओं की टीम को रेस्क्यू करने के लिए ट्वीट भी किया था। लेकिन बाहर के हालात खराब थे। सभी को इस बात का डर था कि कहीं उपद्रवी अंदर न आ जाए। टीम में काफी संख्या में लड़कियां शामिल थीं और सभी डरी हुई थी। हालांकि एक दो सुरक्षाकर्मी उनके पास मौजूद थे।
शाम को करीब छह बजे जब हालात थोड़े काबू में आए तो इन सबको निकाला गया। करीब साढ़े छह बजे सुरक्षाकर्मियों का एक जत्था अंदर आया और सबको अपने साथ बाहर ले गया। वहीं बाहर आकर लाल किले का जो मंजर इन्होंने देखकर उसे देखकर सब डर गए। मिस्बा हाशमी के अनुसार जब वो बाहर आई तो लाल किला परिसर का मंजर खौफनाक था। पत्थर और डंडे हर जगह पर पड़े हुए थे। चप्पल जूते और फटे हुए कपड़े बिखरे हुए थे। सुरक्षाकर्मियों ने सभी को बस में बैठाकर सुरक्षित जगह पर भेजा। इसके बाद देर रात को वे सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के पास मिलने पहुंचे। केंद्रीय मंत्री ने उनका साहस बढ़ाया।
आपको बता दें कि युवा आंत्रप्रन्योर मिस्बा हाशमी यमुनानगर के गांव बुडिया में सीएससी चलाती है। डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देशभर के वीएलई को संबोधित किया था। उस दौरान प्रधानमंत्री ने मिस्बा की तारीफ की थी और देश में चल रही डिजिटल क्रांति का रोल मॉडल इन्हें बताया था। इसके अलावा मिस्बा हाशमी को कई सारे राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से भी नवाजा गया है।