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जब दो महीने तक के लिए चली गई थी नरेंद्र चंचल की आवाज, फिर माता रानी ने किया था बड़ा चमत्कार
मशहूर भजन सम्राट नरेंद्र चंचल ने शुक्रवार को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. नरेंद्र चंचल ने 80 साल की उम्र में बीते कल दिल्ली के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनका अपोलो अस्पताल में बीते दो माह से इलाज चल रहा था. भजन की दुनिया में वे एक बड़ा नाम थे. भजनों की मदद से उन्होंने देश-दुनिया में बड़ा नाम कमाया है.
नरेंद्र चंचल ने भजनों के साथ ही हिंदी सिनेमा के लिए भी गाने गाये हैं. पहली बार उन्होंने फिल्म बॉबी के लिए एक गाना गाया था. वो गाना था बेशक मंदिर, मस्जिद तोड़ो. इस गाने के लिए उन्हें फिल्मफेयर के बेस्ट सिंगर के ख़िताब से भी नवाजा गया था. नरेंद्र के जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब उनका स्टारडम उनके सिर चढ़ गया था और फिर बहुत जल्द उनके जीवन में जब परेशानी आई तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ. आइए आज आपको उस किस्से से रूबरू कराते हैं…
16 अक्टूबर 1940 को पंजाब के अमृतसर में नरेंद्र चंचल का जन्म हुआ था. वे धार्मिक पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते थे. शुरू से ही घर-परिवार में धार्मिक वातावरण के चलते उनकी रूचि गायन के क्षेत्र में और उसमे भी भजनों की दुनिया में रही. छोटी सी उम्र में ही नरेंद्र ने जगरातों में गाना शुरू कर दिया था.
ऐसे जुड़ा नाम में चंचल…
बचपन में नरेंद्र चंचल बहुत शरारती हुआ करते थे. उनका स्वभाव भी काफी चंचल था. इसके चलते उन्हें उनके स्कूल टीचर चंचल कहकर बुलाया करते थे. आगे जाकर नरेंद्र ने ‘चंचल’ को अपने सरनेम के रूप में इस्तेमाल कर लिया और फिर वे बन गए नरेंद्र चंचल.
कड़े संघर्ष के बाद बॉलीवुड में मिला मौका…
बॉलीवुड का रास्ता तय करने के लिए नरेंद्र चंचल को काफी बड़ा रास्ता तय करना पड़ा था. कड़े संघर्ष के बाद उन्हें राज कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म बॉबी में गाने का मौका मिला. इस फिल्म में अहम रोल में दिग्गज़ अभिनेता ऋषि कपूर और सीनियर एक्ट्रेस डिंपल कपाडिया अहम रोल में थी. इस फिल्म के गाने बेशक मंदिर, मस्जिद तोड़ो ने उन्हें खूब सफलता दिलाई और साथ ही उनके सिर पर स्टारडम का बुखार भी चढ़ गया.
नरेंद्र चंचल ने अपने एक साक्षात्कार के दौरान खुलासा करते हुए बताया था कि, बॉलीवुड में शुरुआत में ही सफलता मिलने के बाद उन्होंने जगरातों में गाने को कम आंकना शुरु कर दिया था. लेकिन उन्हें इसकी बहुत बड़ी सजा मिली थी. चंचल ने कहा था कि, जब वे बॉलीवुड में हिट हुए तो जगरातों से उन्होंने नाता तोड़ लिया और जगरातों से दूरी भी बना ली.
नरेंद्र चंचल ने अपने साक्षात्कार में बताया था कि, ”मैं काली मां के मंदिर में गया था और वहां मुझे गाने के लिए बोला गया लेकिन मैंने झूठ बोल दिया कि मेरी तबियत ठीक नहीं है. घर आकर मुझे समझ आया कि मेरी आवाज ही नहीं निकला रही है.” वे आगे कहते हैं कि, ”मैं परेशान हो गया और कुछ समय बाद उसी मंदिर में गया. वहां लोगों ने मुझे पूछा कि तुम्हारी तो तबीयत ठीक नहीं थी. इस पर उन्होंने माफी मांगी. उस समय मंदिर में यज्ञ हो रहा है था और वहां पेड़े की बनी लस्सी मिलती थी, जिसे उन्होंने मुझे पीने के लिए दिया गया.”
साक्षात्कार में नरेंद्र चंचल ने आगे कहा था कि, दो माह तक मेरी आवाज बंद हो गई थी और मेरी आवाज बाद में वापस आ गई थी और फिर उस दिन से मैंने यह प्राण ले लिया था कि, मैं हमेशा जगरातों में गाया करुंगा. वे कभी भी इससे दूर नहीं होंगे. बताया जाता है कि, अगर कभी नरेंद्र चंचल बीमार भी होते थे तब वे जगराते में जाते थे और जय माता दी बोलकर आ जाया करते थे.