आप जानेंगे चौंक जाएंगे की सांप काटने से मौत को लेकर क्या कहते हैं पुराण !!
सर्प ने अपने विषैले दांत मनुष्य के शरीर में चुभा दिए तो मृत्यु तय माना जाता है। लेकिन कई बार सांप काटने के बाद भी लोग जीवित बच जाते हैं। यह महज संयोग नहीं है बल्कि सांप के काटने के बाद जीवित बचने के कई कारण होते हैं। लेकिन कुछ दिन, तिथि और नक्षत्र ऐसे हैं जब सांप का विष सबसे ज्यादा प्रभावशाली होता है और काटने वाले का बचना असंभव हो जाता है।
भविष्य पुराण के अनुसार अष्टमी, नवमी, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी और नागपंचमी के दिन सांप का काटना यमदूत के समान माना जाता है क्योंकि इन तिथियों में सांप काटे तो बचना असंभव होता है।
28 नक्षत्रों में आर्द्रा, अश्लेषा, मघा, भरणी, कृतिका, विशाखा, मूल, स्वाती, शतभिषा और तीनों पूर्वा नक्षत्रों में सांप काटा हुआ मृत्यु को पाप्त होता है।
भविष्यपुराण में बताया गया है कि सांप काटने पर घाव फूल जाए, अधिक पसीना आने लगे, नाक से बोलने लगे, ओठ लटक जाए नाभि फड़कने लगे तो यह संकेत है कि मौत सांप के रूप में आई है अब जीवित बचना असंभव है।
भविष्य पुराण में कश्यप ऋषि कहते हैं कि दिन में और रात में दूसरा और सोलहवां प्रहरार्ध सांपों से संबंधित नागोदय वेला कही गई है। इस समय सांप का काटना यमराज के आने के समान है यानी ऐसे व्यक्ति की मौत निश्चित है।