हेमकुंड साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने की थी गहरी तपस्या, पढ़ें इससे जुड़ी कथा
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब जी सिखों का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और हर साल लाखों की संख्या में सिख इस स्थल पर आया करते हैं। हेमकुंड साहिब जी से जुड़ी मान्यता के अनुसार इस जगह पर ही सिखों के दसवें गुरु गुरुगोबिंद सिंह ने कई सालों तक तपस्या की थी। वहीं आज यहां पर एक गुरुद्वारा बनाया गया है और भक्त इसी गुरुद्वारे के दर्शन करने के लिए इस जगह पर आते हैं। गुरुद्वारे के साथ ही यहां पर पवित्र सरोवर भी है, जिसे हेम सरोवर के नाम से जाना जाता है। जो लोग भी गुरुद्वारे में दर्शन करने के लिए आते हैं, सबसे पहले वो हेम सरोवर में स्नान करते हैं और पवित्र होकर गुरुद्वारे में जाते हैं। ये जगह करीब 15 हजार 200 फीट ऊंचाई पर और यहां पर भक्तों के लिए हर सुविधा मौजूद है।
इस जगह के पास ही एक मंदिर भी बना हुआ है। जो कि भगवान लक्ष्मण को समर्पित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर दर्शन के लिए सबसे पहले गुरुगोबिंद सिंह ही आए थे और इन्होंने यहां आकर पूजा की थी। इसलिए जो लोग भी हेमकुंड साहिब जी आते हैं वो इस मंदिर में जरूर जाया करते हैं। इसके अलावा हेमकुंड साहिब के पास सप्तऋषि चोटियां मौजूद हैं। जिन पर खालसा पंथ का प्रतीक निशान साहिब पर ध्वज लहराता है।
हेमकुंड साहिब जी में बना गुरुद्वारा काफी भव्य तरीके से बनाया गया है। ये गुरुद्वारा 10 वर्ग फीट के कमरे से बना हुआ है। इस जगह का पता चलने के बाद साल 1937 में एक झोंपड़ीनुमा कमरा बनाकर यहां श्री गुरुग्रंथ साहिब जी को स्थापित किया गया था। वहीं साल 1960 में यहां पर लगभग 10 वर्ग फीट का कमरा बनाया गया और उसे गुरुद्वारा साहिब का रूप दिया गया।
दसवें ग्रंथ के मुताबिक पांडु राजा इस जगह पर आकर योग किया करते थे। संत सोहन सिंह, जो सिख धर्म का उपदेश दिया करते थे। उन्हें एक बार उपदेश देने के दौरान गुरु गोबिंद सिंह के तपस्या स्थल का ख्याल आया। जिसके बाद उन्होंने इस जगह को खोजना शुरू कर दिया और अपनी खोज में ये सफल हुए। उन्हें ये जगह मिल गई और तभी से भक्तों का यहां आना शुरू हो गया। इस जगह का जिक्र गुरु गोबिंद सिंह जी की आत्मकथा में भी किया है।
इस जगह का जिक्र रामायण में भी मिलता है और ये जगह गुरु गोबिंद सिंह जी के यहां आने से पहले भी तीर्थ स्थल थी। इस जगह को पहले लोकपाल कहा जाता था। जिसका मतलब विश्व का रक्षक होता है। कथा के अनुसार लोकपाल में लक्ष्मण जी ने ध्यान किया था। इसलिए हिंदू धर्म से जुड़े हुए लोग भी इस जगह आते हैं।
कैसे पहुंचे
हेमकुंड साहिब पहुंचाना बेहद ही सरल है। जोशीमठ-बद्रीनाथ मुख्य सड़क से ये जगह 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये 22 किलोमीटर का रास्ता पहाड़ियों से घिरा हुआ है। ऊंचाई में होने के कारण ये जगह हर साल ठंडी ही रहती है। इसलिए आप अगर यहां जाने का मन बना रहे हैं तो अपने साथ गर्म कपड़े लेकर जरूर जाएं।
इस जगह पर कई सारे होटल और धर्मशालाएं भी मौजूद हैं। जहां पर आप रूक सकते हैं। हालांकि आप यहां आने से पहले अपनी बुकिंग जरूर करवा लें।