जाते-जाते चीन की चाल बिगाड़ गए डोनाल्ड ट्रम्प, लगाए कई बड़े प्रतिबन्ध
सत्ता छोड़ने से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन की मुस्लिम नीतियों पर कई प्रतिबन्ध लगा दिए है. पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में अमेरिका ने अल्पसंख्यकों और मुस्लिमों पर चीन की नीतियों को नरसंहार बताते हुए ये प्रतिबंध लगाए हैं. ये प्रतिबन्ध अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ द्वारा लगाए गए है.
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन का यह फैसला नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से ठीक एक दिन पहले आया है. पोम्पिओ ने अपने एक भाषण में कहा, उपलब्ध तर्कों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण के अधीन पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने शिनजियांग में कई अल्पसंख्यकों और मुस्लिम उइगरों पर अत्याचार किया है.
पोम्पिओ के इस फैसले से आने वाले बाइडन प्रशासन के अधिकारियों की ओर से इस निर्णय पर कोई प्रतिक्रिया टिपण्णी नहीं आई है. संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अनुसार किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की जनसंख्या नियंत्रित करने को लेकर उठाए जा रहे कदमों और उनकी बड़ी संख्या में हत्या होना नरसंहार की श्रेणी में ही आएगा.
जानें चीन में किस तरह के अत्याचार होते है
गौतरतलब है कि चीन में उइगर मुसलमानों पर लगाई जा रही विभिन्न प्रकार की पाबंदियों को अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ अमेरिका पहले भी जांच करने के लिए कह चुका है. चीन में अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों पर हो रहे उत्पीड़न और अत्याचारों के मामले में अमेरिका पहले भी बीजिंग पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है. आपको बता दें कि चीन में वीगर मुसलमानों की जबरजस्ती नसबंदी करना, उन्हें कैदी बनाना जबरन मजदूरु करवाना जैसे अनेक अत्याचार हो रहे हैं. इन्ही मामलों के आधार पर अमेरिका ने चीन पर उइगर मुसलमानों के नरसंहार का यह बड़ा आरोप और प्रतिबन्ध लगाया है.
नए राष्ट्रपति की शपथ से पहले चीन को झटका
जो बाइडन आज अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति जबकि कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाली है. डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों द्वारा कैपिटल हिल (संसद भवन परिसर) में हाल ही में एक बड़ा हमला किया गया था. इसलिए आज ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह के मौके पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कड़ी सुरक्षा के बीच बाइडन और हैरिस शपथ लेंगे.
ज्ञात हो कि ट्रम्प अपनी हार कबूल नहीं कर पाए थे और तिलमिला उठे थे. इसके बाद उन्होंने कई बयान बाज़ी भी की. इन चुनावों को झूठा बताया और यह तक कह डाला कि यह लोकतंत्र की हार है. इसके बाद उनके कुछ समर्थकों ने संसद भवन पर हमला कर दिया. इसके लिए ट्रम्प की और अमेरिका की दुनिया भर में निंदा की गई. ऐसा इससे पहले अमेरिका के इतिहास में कभी नहीं हुआ था. आज ट्रम्प के विरोध के बावजूद जो बाइडन शपथ लेने जा रहे है.