अध्यात्म
भगवान शिव ने पार्वती को बताया क्यों गरीब लोग ज्यादा परेशान होते रहते हैं
एक बार पार्वती ने भगवान शिव से कहा, मैंने धरती पर देखा है कि जो व्यक्ति पहले से ही अपने प्रारब्ध से दुखी है, उसे और ज्यादा दुख मिलता हैं, और जो सुख में है, आप उसे दुख नहीं देते। भगवान ने तब तो इस सवाल का जवाब टाल दिया। कुछ समय बाद शिव-पार्वती मर्त्यलोक में प्राणियों का हालचाल जानने के लिए गए।
दोनों ने मनुष्य का रूप धारण किया और पति-पत्नी के रूप में एक गांव के पास डेरा जमाया। शाम के समय पार्वती ने रसोई की तैयारी शुरू की। वे चूल्हा बनाने के लिए बाहर से ईंटें लेने गईं और गांव में कुछ जर्जर हो चुके मकानों से ईंटें लाकर चूल्हा तैयार किया। चूल्हा तैयार होते ही शिव खाली हाथ लौट आए।
पार्वती ने उनसे कहा कि आप तो कुछ लेकर नहीं आए, भोजन कैसे बनेगा? शिव बोले, पार्वती, अब तुम्हें इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। शंकर जी ने पार्वती से पूछा कि तुम चूल्हा बनाने के लिए इन ईटों को कहां से लेकर आई?
माता पार्वती ने कहा, प्रभु, इस गांव में बहुत से ऐसे घर भी हैं, जिनका रख-रखाव सही ढंग से नहीं हो रहा है। उनकी जर्जर हो चुकी दीवारों से मैं ईंटें निकाल कर ले आई। शिव ने फिर कहा, जो घर पहले से खराब थे, तुमने उन्हें और खराब कर दिया। तुम मजबूत घरों की दीवारों से भी तो ईंटें ला सकती थी।
पार्वती बोली, प्रभु, उन लोगों ने अपने घरों का रख-रखाव अच्छी तरह किया है। वे सुंदर भी लग रहे हैं। उन्हें बिगाड़ना ठीक नहीं होता। इस पर शंकर जी ने कहा कि कुछ दिन पहले पूछे तुम्हारे प्रश्न का उत्तर भी यही है। जिन लोगों ने अपने जीवन को अच्छे कर्मों से सुंदर बना रखा है, उन्हें दुख कैसे हो सकता है!