87 वर्ष का जांबाज डॉक्टर, रोजाना साइकिल से गरीबों का इलाज करने पहुंचते हैं गांव
कोरोना वायरस महामारी की वजह से लोगों के को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। कोरोना वायरस की वजह से लोगों का काम-धंधा पूरी तरह से बंद हो चुका है। संकट की इस घड़ी में गांव के अंदर स्वास्थ्य सुविधाएं बुरी तरह से प्रभावित हो चुकी हैं। कोरोना काल में सभी लोगों को हर तरफ से परेशानी देखनी पड़ रही है परंतु इसी बीच ऐसे बहुत से लोग हैं जो जरूरतमंद लोगों की सहायता में जुटे हुए हैं। संकट के दौरान सरकार प्रशासन द्वारा लोगों तक सुविधाएं पहुंचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। कोरोना महामारी के बीच विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वह घर से बाहर ना निकालें, परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए घर से बाहर निकल रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिनकी उम्र 87 वर्ष की है परंतु वह कोरोना महामारी के दौर में अपनी साइकिल से गांव में जाकर मरीजों का इलाज करने में जुटे हुए हैं।
डोर टू डोर जाकर कर रहे हैं चिकित्सा प्रदान
Maharashtra: A 87-year old homoeopathic doctor in Chandrapur district braves #COVID19 pandemic to treat villagers. He travels 10 km barefoot on his bicycle daily to provide door-to-door medical treatment to the poor. He has been visiting patients on his bicycle for last 60 years. pic.twitter.com/E9OrHB7uOx
— ANI (@ANI) October 23, 2020
हम आपको जिस 87 वर्षीय बुजुर्ग के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं इनकी जांबाज़ी के बारे में जानकर आप भी इनकी जरूर तारीफ करेंगे। इस कोरोना वरीयर का नाम डॉक्टर रामचंद्र दानेकर है। इतनी ज्यादा उम्र होने के बावजूद भी यह संकट की इस घड़ी में मरीजों को देखने के लिए साइकिल से पहुंचते हैं। डॉ. रामचंद्र दानेकर 60 वर्षों से गरीबों को घर-घर जाकर चिकित्सा प्रदान कर रहे हैं। यह एक होम्योपैथिक के डॉक्टर हैं, जो गरीब लोगों के इलाज के लिए अपनी साइकिल से रोजाना 10 किलोमीटर से 15 किलोमीटर तक का सफर तय करके यह नेक काम कर रहे हैं।
मीडिया एजेंसी से बातचीत करने के दौरान डॉ. रामचंद्र दानेकर ने यह बताया है कि “पिछले 60 वर्षों से मैं लगभग रोजाना ग्रामीणों का दौरा कर रहा हूं। कोविड-19 के डर की वजह से डॉक्टर मरीजों का इलाज करने से डरते हैं, लेकिन मुझे ऐसा कोई डर नहीं है। आजकल के युवा डॉक्टर केवल पैसो के पीछे हैं और वह गरीबों की सेवा नहीं करना चाहते हैं।”
डॉ. दानेकर ने कहा कि जब वह जवान थे तब एक दिन में कई गांवों को दौरा करते थे और एक दिन के लिए भी बाहर रहते थे परंतु अब उनकी उम्र बहुत अधिक हो चुकी है, जिसकी वजह से वह रात के समय अपने घर पर वापस आ जाते हैं। उन्होंने कहा है कि “जब तक मेरा शरीर काम करता रहेगा, तब तक मैं लोगों की सेवा करता रहूंगा।”
वैसे देखा जाए तो डॉक्टर दानेकर संकट की इस घड़ी में जिस प्रकार गरीब लोगों की सेवा कर रहे हैं, यही समर्पण उनको बहुत बड़ा बनाता है। यह 24 घंटे फोन कॉल पर उपलब्ध रहते हैं। महामारी के बीच भी इन्होंने अपना कार्य और इलाज करना जारी रखा है। खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि ग्रामीण लोग इनको भगवान का दूसरा रूप मानते हैं। यह एकमात्र ऐसे डॉक्टर हैं जो किसी भी समय किसी भी कॉल पर ग्रामीण लोगों के पास पहुंच जाते हैं।