“बाबा का ढाबा” वाले कांता प्रसाद ने सुनाई अपनी अनोखी लव स्टोरी
आप सभी लोगों को दिल्ली वाले “बाबा का ढाबा” वाले कांता प्रसाद तो याद ही होंगे। जी हां, जिनको रातों-रात सोशल मीडिया ने मशहूर कर दिया। आपको बता दें कि हाल ही में सोशल मीडिया पर बाबा का ढाबा चलाने वाले एक बुजुर्ग दंपति का वीडियो वायरल हुआ था, जिस वीडियो के अंदर एक बुजुर्ग रोता हुआ नजर आ रहा था। लॉकडाउन की वजह से इनका ढाबा पूरी तरह से बंद हो गया था। लॉकडाउन में कोई भी ग्राहक इनके ढाबे पर नहीं आता था। लेकिन जब इनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो इनकी मदद के लिए लोग आगे बढ़े। दिल्ली के मालवीय नगर के इस बाबा का ढाबा पर ग्राहकों की लंबी लाइन लगने लगी। इतना ही नहीं बल्कि स्पॉन्सर करने वाली कंपनियों की भी इनको कमी नहीं रही। बाबा का ढाबा वाले कांता प्रसाद की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई।
This video completely broke my heart. Dilli waalon please please go eat at बाबा का ढाबा in Malviya Nagar if you get a chance ?? #SupportLocal pic.twitter.com/5B6yEh3k2H
— Vasundhara Tankha Sharma (@VasundharaTankh) October 7, 2020
आज हर कोई “बाबा का ढाबा” वाले कांता प्रसाद और उनकी पत्नी बदामी देवी को जानता है, लेकिन क्या आप लोग इस बाबा के प्यार भरी कहानी के बारे में जानते हैं? ऐसा कोई ही होगा जिसको इन दोनों की प्रेम कहानी के बारे में जानकारी होगी। आज हम आपको “बाबा के ढाबा” वाले कांता प्रसाद की अनोखी प्रेम कहानी के बारे में जानकारी देने वाले हैं। दरअसल, ह्यूम्स ऑफ बॉम्बे का एक पेज है, जिस पर प्यारी-प्यारी, दिलचस्प कहानियां शेयर की जाती है। उन्होंने ही बाबा के प्रेम की कहानी शेयर की है।
छोटी उम्र में ही हो गया था इन दोनों का विवाह
बाबा का ढाबा चलाने वाले कांता प्रसाद ने यह बताया कि जब उनकी उम्र 5 वर्ष की थी तब उनका विवाह बादामी जी से हो गया था, तब बादामी देवी की उम्र 3 वर्ष की थी। इन दोनों का विवाह यूपी के आजमगढ़ में संपन्न हुआ। कांता प्रसाद जी ने यह बताया कि बदामी जी गुड़िया की तरह लग रही थीं। इन्होंने आगे कहते हुए बताया कि हम यह नहीं चाहते थे कि हमारे बच्चों के साथ भी वैसा हो जैसे हमारे साथ हुआ। जब हमारी पहली बची हुई थी तब हमने यूपी छोड़ने का फैसला ले लिया था। वर्ष 1961 में हम दिल्ली आ गए थे। यहां पर आने के बाद हम एक-दूसरे को धीरे-धीरे समझने लगे। दिल्ली में सबसे पहले हमने फल बेचने का काम आरंभ किया था।
कांता प्रसाद जी का ऐसा मानना है कि उनकी पत्नी बदामी देवी उनसे कहीं ज्यादा बेहतर हैं। वह ग्राहकों को सही तरीके से हैंडल कर लेती हैं। फल बेचने के बाद बाबा ने चाय की दुकान खोली। बाबा ने बताया कि जब उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि अगर चाय की दुकान नहीं चली तो, इस बात पर उनकी पत्नी हंस पड़ी और जवाब में उनकी पत्नी ने कहा था कि “कोई बात नहीं, कुछ और करेंगे।”
“बाबा का ढाबा” खोला
आपको बता दें कि कांता प्रसाद जी ने वर्ष 1990 में बाबा का ढाबा खोला था। बाबा का ऐसा कहना है कि हम यहां बराबर के हिस्सेदार थे, लेकिन जब कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगा तो इनको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा, इससे पहले भी उनको बहुत सी दिक्कतें झेलनी पड़ी थी, परंतु यह एक-दूसरे के हमेशा साथ खड़े रहे, इन दोनों ने एक-दूसरे का पूरा सहयोग दिया। बाबा का ऐसा कहना है कि असली मोहब्बत वही होती है जहां एक-दूसरे के लिए 2 लोग एक हो जाते हैं। कांता प्रसाद और बदामी देवी की यह प्रेम कहानी लोगों को बेहद पसंद आ रही है। आपको यह कहानी कैसी लगी? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।