गरीबी झेली, खूब की मेहनत, ऐसे गली क्रिकेट खेलते हुए बिहार U-17 तक पहुंचा एक रिक्शे वाले का बेटा
हमेशा से ही क्रिकेट युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय रहा है। जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं IPL 2020 चल रहे हैं। इस बेहतरीन मंच पर ऐसे कई युवा खिलाड़ी हैं जो अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए उत्सुक हैं। कई खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा से लाखों लोगों का दिल जीत लिया है, परंतु यह युवा खिलाड़ी जिन परिस्थितियों से गुजरते हुए इस मुकाम तक पहुंचे हैं, इसके पीछे इनकी कठिन मेहनत है। आप सभी लोग भी ऐसे बहुत से क्रिकेट खिलाड़ियों के बारे में जानते होंगे जिन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के बाद अपना सपना पूरा किया है। अगर हम हार्दिक पांड्या की बात करें तो इन्होंने कितने संघर्षों के बाद यह मुकाम हासिल किया है, लेकिन आज हम आपको बिहार के पटना के एक ऐसे रिक्शे वाले बेटे के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो हार्दिक पांड्या के नक्शे कदम पर चल कर आईपीएल के रास्ते टीम इंडिया का हिस्सा बनने का सपना देख रहा है।
हम आपको जिस रिक्शा वाले के बेटे के बारे में जानकारी दे रहे हैं, उसका नाम रोशन कुमार है, जिन्होंने बिहार अंडर-17 में जगह बनाने में सफलता हासिल की है परंतु इनकी मेहनत और संघर्ष यहीं पर खत्म नहीं हुई। यह आगे के सफर के लिए खूब मेहनत और संघर्ष में जुटे हुए हैं।
कम उम्र से ही क्रिकेट खेलना कर दिया था शुरू
आपको बता दें कि रोशन कुमार का जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। यह बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। किसी कारण से इनका परिवार पटना छोड़कर हरियाणा के फरीदाबाद आ गया था। नई जगह पर काम मिलना इतना आसान नहीं था। रोशन कुमार के पिता जी काम की तलाश में दिनभर भटकते रहते थे, परंतु लाख कोशिश करने के बावजूद भी इनको किसी भी प्रकार का रोजगार नहीं मिला। आखिर में इन्होंने रिक्शा चलाने का निर्णय लिया और यह रिक्शा चलाने लगे। रोशन कुमार के घर की आर्थिक स्थिति इतनी ठीक नहीं थी कि यह अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएं। किसी ना किसी तरह मुश्किल भरी परिस्थितियों में इन्होंने अपनी दसवीं तक की शिक्षा ग्रहण की। जब इनकी उम्र 8 वर्ष की थी तब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।
घरवालों का मिला सपोर्ट
जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं जब कोई इंसान कोई काम करता है तो आसपास के लोग उसको तरह-तरह की बातें बोलते हैं। कुछ ऐसा ही रोशन कुमार के साथ हुआ था। जब यह गली में लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करते थे तब उनको क्रिकेट खेलता देख आसपास के लोग अक्सर उनके पिता संजय को तंज कसते थे। लोग पिता को कहते थे कि तुम्हारा बेटा दिनभर क्रिकेट में ही लगा रहता है, यह पढ़ाई-लिखाई नहीं करता। लेकिन रोशन के पिता जी ने लोगों की परवाह नहीं की और हमेशा से ही इन्होंने अपने बेटे का सपोर्ट किया।
खेलने के साथ-साथ पिता की करते थे मदद
रोशन के पिताजी रिक्शा चला कर अपने परिवार का पेट पालते थे, परंतु फरीदाबाद जैसे शहर में रिक्शा चला कर घर का खर्च चला पाना इतना आसान नहीं था। जब रोशन ने अपने पिता को परेशान देखा तो यह भी आर्थिक मदद के लिए यहां वहां जाकर क्रिकेट खेलने लगे। क्रिकेट खेलने के बदले में इनको कुछ पैसे मिल जाते थे। रोशन कुमार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उनके पास क्रिकेट किट तो दूर बैट खरीदने तक के पैसे नहीं थे परंतु इनका आत्मविश्वास मजबूत था। इन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी। मैदान में खूब पसीना बहाया। धीरे-धीरे इनका खेल और अच्छा होता चला गया। आसपास के लोग भी इनको मैच खेलने के लिए बुलाने लगे थे। मैच खेलने के बदले रोशन को कुछ पैसे दे दिया करते थे, जिनकी सहायता से रोशन आगे बढ़ सके।
दोस्त की सलाह पर हरियाणा से क्रिकेट खेलने के लिए ट्राई किया
रोशन कुमार क्रिकेट खेलने में बहुत अच्छे थे, जिनके खेल को देखते हुए उनके ही एक मित्र ने सलाह दी थी कि उनको हरियाणा में क्रिकेट खेलने के लिए ट्राई करना चाहिए। अपने दोस्त की सलाह मानते हुए रोशन कुमार वर्ष 2018 में ट्रायल देने पहुंच गए। यहां पर इनको पहला अवसर मिला। रोशन सिलेक्शन के लिए कॉन्फिडेंट थे, मगर उनको यहां सफलता नहीं मिल पाई थी। असफल होने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और उन्होंने अपने खेल को और बेहतर बनाने के लिए खूब मेहनत की। वर्ष 2019 में ये बिहार ट्रायल देने के लिए पहुंचे, इस बार इनको कामयाबी मिली।
बिहार अंडर-17 में जगह बनाई
आपको बता दें कि रोशन कुमार पहले जिला स्तर ट्रायल में सफल रहे थे, इसके पश्चात बिहार अंडर-17 में इन्होंने जगह बनाई। लगातार सफलता मिलने की वजह से इनके अच्छे दिन आरंभ हो गए थे परंतु इनका संघर्ष यहीं पर खत्म नहीं था। इनको अपने जीवन में बहुत संघर्ष करना था. भले ही इन्होंने बिहार अंडर-17 में जगह बना ली थी लेकिन अधिक मैच खेलने का अवसर नहीं मिला था। रोशन कुमार के पास इतने पैसे नहीं जुट पाए थे कि वह कोई क्रिकेट अकादमी को ज्वाइन कर सके, लेकिन इनको अपने ऊपर भरोसा है और लगातार अभ्यास कर रहें है। इनको उम्मीद है कि किसी ना किसी दिन ये अपना लक्ष्य जरूर प्राप्त करेंगे।