कृषि विधेयक के चलते शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी पार्टी के बीच का गठबंधन टूट गया है। शिरोमणि अकाली दल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और बीजेपी से खुद को अलग कर लिया है। दरअसल साल 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव के चलते ही शिरोमणि अकाली दल ने ये फैसला किया है। शिरोमणि अकाली दल केंद्रीय सरकार की और से लाए कृषि विधेयक के खिलाफ है। कृषि विधेयक के कारण पंजाब में होने वाले चुनावों में कोई असर ना पड़े, इसके लिए शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी से अपना 24 साल का नाता तोड़ दिया है।
किसान वोट बैंक खोने का है डर
कृषि विधेयक को लेकर इस समय पंजाब में किसानों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है और किसान केंद्रीय सरकार द्वारा लाए गए विधायक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। पंजाब में किसानों का वोट बैंक काफी अधिक और किसान वोट बैंक खोने के डर से ही शिरोमणि अकाली दल एनडीए से अलग हो गया है। ताकि पंजाब के किसानों को ये विश्वास दिलाया जा सके कि शिरोमणि अकाली दल उनके साथ है।
खुलकर कर रहे हैं बीजेपी का विरोध
शिअद का सबसे बड़ा वोट बैंक किसान ही हैं और ये पार्टी राज्य की 65 फीसद आबादी वाली ग्रामीण सीटों पर चुनाव लड़ती है। ऐसे में किसान इनके खिलाफ ना हो, इसलिए अकाली दल खुलकर बीजेपी का विरोध कर रही है। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल केंद्रीय सरकार के खिलाफ प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस से भी अधिक बोल रहे हैं।
पार्टी से अलग होते हुए अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि ‘हम राजग का हिस्सा नहीं हो सकते हैं, जो इन अध्यादेशों को लाया है। ये सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है कि शिरोमणि अकाली दल अब एनडीए का हिस्सा नहीं है। उन्होंने बताया कि पार्टी की कोर कमेटी ने चार घंटे की बैठक के बाद निर्णय लिया है।
हरसिमरत बादल ने दिया था इस्तीफा
किसान बिल के खिलाफ विरोध करते हुए इससे पहले हरसिमरत बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद से यहीं उम्मीद की जा रही ही थी कि आने वाले समय में अकाली दल खुद को एनडीए से भी अलग कर सकता है। किसान बिल के कारण अकाली दल पर लगातार बीजेपी और राजग से अलग होने का दबाव बना हुआ था और शनिवार को करीब साढे तीन घंटे तक चली कोर कमेटी में के बाद पार्टी ने खुद को अलग करने का फैसला ले लिया है।