165 साल बाद सितंबर में बन रहा है अद्भुत संयोग, जाने क्या है खास?
शारदीय नवरात्र की शुरूआत पितृपक्ष की समाप्ति के बाद ही हो जाती है, मगर इस बार ऐसा नहीं होगा। जी हां, इस बार 165 साल बाद एक अद्भूत संयोग बन रहा है, जिसके चलते इस बार पितृपक्ष की समाप्ति के बाद नवरात्रे शुरू नहीं होगें बल्कि एक महीने की देरी स नवरात्रों की शुरूआत होगी। अश्विनी माह में श्राद्ध पक्ष 2 सितंबर से शुरू होगा, जो 17 सितंबर तक चलेगा। यानी कि 18 सितंबर से नवरात्रों की शुरूआत हो जानी चाहिए, लेकिन इस साल ऐसा नहीं होगा बल्कि इस बार नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होगी।
एक महीने के अंतर पर नवरात्रि, जानिए क्यों?
बता दें कि श्राद्ध पक्ष में लोग अपने अपने पितरों के लिए पिंड दान, तर्पण, हवन और अन्न दान आदि करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग पितृ गायत्री अनुष्ठान भी करते हैं और माना जाता है कि जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। बहरहाल इस बार नवरात्रि के 1 महीने देरी से आरंभ होने का कारण ये है कि अश्विन मास में अधिक मास लग रहा है। खास बात ये है कि ऐसा संयोग तकरीबन 165 साल बाद बना है।
17 सितंबर को श्राद्ध पक्ष होगा समाप्त
इस साल खास संयोग है कि 165 साल बाद लीप ईयर और मल मास दोनों 1 ही साल हो रहा है। चातुर्मास के कारण विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्यों को शुभ नहीं माना जाता है। इस काल में पूजा पाठ, व्रत, उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दौरान सभी देव सो जाते हैं और देवउठनी एकादशी के बाद ही सभी जागृत होते हैं। बता दें कि इस बार 17 सितंबर को श्राद्ध समाप्त होगा और इसके अगले दिन अधिक मास शुरू होगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रों की शुरूआत होगी।
18 सितंबर से शुरू होगा अधिक मास
श्राद्ध पक्ष खत्म होने के बाद यानि 18 सितंबर से मलमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा और 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो जाएंगे। लिहाजा 26 अक्टूबर को दशहरा और 14 नवंबर को दीपावली होगी। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी।
क्या होता है अधिक मास
गौरतलब है कि सूर्य का एक वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का होता है, जबकि चंद्रमा का एक वर्ष 354 दिनों का होता है। यानी दोनों के वर्षों के बीच 11 दिन अंतर है। यह अंतर हर 3 साल में लगभग 1 महीने के बराबर हो जाता है और इसी अंतर को दूर करने के लिए हर 3 साल में एक अतिरिक्त चंद्रमास आता है। चूंकि ये अतिरिक्त होता है, इसलिए अधिक मास भी कहते हैं।
इस बार होंगी 26 एकादशियां
अधिक मास को ही मलमास के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस महीने सूर्य की संक्राति नहीं होती है। इसी वजह से ये महीना मलीन हो जाता है। मान्यताएं हैं कि भगवान विष्णु ने मलमास को पुरूषोत्तम माह कहा है। हर साल 24 एकादशियां होती हैं, लेकिन इस साल मलमास के कारण 26 एकादशियां होंगी। अधिमास की पहली एकदाशी 27 सितंबर को और दूसरी एकादशी 13 अक्टूबर को होगी।