भारतीय सेना ने ब्लैक टॉप में रोकी चीनी सेना की आवाजाही, चीन ने कहा 1962 न भूले भारत
पेंगोंग ने भारतीय सेना ने खदेड़ा तो कुछ यूं बौखलाया चीन
चीनी सेना की ओर से 31 अगस्त की रात को एक बार फिर से घुसपैठ करने की कोशिश की गई थी। लेकिन भारतीय सेना ने इस कोशिश को नाकाम कर दिया है। ये घुसपैठ ऐसे समय पर करने की कोशिश की गई है, जब दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की बातचीत चल रही है। दूसरी तरफ चीन की इस हरकत के बाद लद्दाख में LAC पर भारतीय सेना ने अपने टैंकों की तैनाती तेज कर दी है और सीमा के महत्वपूर्ण इलाकों में इन्हें तैनात किया जा रहा है। इस घटना के बाद भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि चीन के सैनिकों ने पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे में फिर घुसने की कोशिश की। लेकिन भारतीय सेना की सख्त चेतावनी के बाद वो लौट गए। 31 अगस्त को चीन ने उकसाने वाली घटना तब की जब लद्दाख के चुशूल में भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत चल रही थी। हालांकि भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर अपनी मौजूदगी को और मजबूत कर लिया है।
की गई थी कब्जा करने की कोशिश
पैंगोंग झील पर भारत की स्थिति मजबूत है और इस जगह पर अपना दबदबा बनाने के लिए ही चीन की सेना ने 29-30 अगस्त की रात को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे यानी ब्लैक टॉप पर कब्जा करने की कोशिश की थी। जिसे भारत की सेना ने नाकाम कर दिया था।
हमले की आशंका से उठाया ये कदम
चीन की ओर से चुशूल और डेमचोक पर हमले की आशंका के बाद भारतीय सेना की ओर से टैंकों की तैनाती की जा रही है। दरअसल इन जगहों पर चीन ने सेना के टैंकों को आगे बढ़ाया है। जिसके बाद भारत ने भी इन जगहों पर टैंकों की तैनाती की है। ताकि चीन का किसी भी हरकत का जवाब उसे तुरंत दिया जा सके।
चीन हर बार मुंह की खाने के बात इस बात से इंकार कर देता है कि उसने LAC पर कोई उल्लंघन नहीं किया। शांति का दिखावा करने के लिए वह भारत के साथ कमांडर स्तर की बातचीत भी करता है, लेकिन वह अपनी धोखा देने वाली नीति से बाज नहीं आता।
सीमा पर चल रहे इन हालातों के बीच दिल्ली में कल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक भी हुई थी। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल, विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे शामिल हुए थे।