रविवार को इस सरल तरीके से करें सूर्य देव की पूजा, खुल जाएगा सोया हुआ भाग्य, दूर हो जाएंगे रोग
रविवार का दिन सूर्य देव का दिन माना जाता है और इस दिन सूर्य देव की पूजा जरूर करनी चाहिए। अगर आप किसी रोग से ग्रस्त हैं तो आप सूर्य देव की पूजा करें। सूर्य की पूजा करने से रोग से मुक्ति मिल जाएगी। हालांकि सूर्य देव की पूजा कैसे की जाती है। इसकी जानकारी बेहद ही कम लोगों को होती है। इसलिए हम आपको सूर्य देव की पूजा कैसे की जाए इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं।
पौराणिक वेदों में सूर्य देव का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि सूर्य की पूजा करने से जीवन शक्ति, मानसिक शक्ति, ऊर्जा और जीवन में सफलता हासिल की जा सकती है। उगते हुए सूरज को देखना बेहद ही शुभ होता है और इसकी पूजा करने से रोगों से निजात मिल जाती है। सूर्य की पूजा करने के लिए रविवार का दिन सबसे उत्तम होता है।
इस तरह से दें सूरज को अर्घ्य और करें पूजा
रविवार को सूर्य की पूजा जरूर करें। सुबह उठकर स्नान करें और उसके बाद अपने कुल देवता की पूजा करें। कुल देवता की पूजा करने के बाद सूर्य देव की भी पूजा करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
इस तरह से करें पूजा
- पूजा घर में लाल रंग का आसन बिछा दें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
- सूर्य मंत्र का जाप करें और ये मंत्र कम से कम 108 बार पढ़ें। ‘ॐ सूर्याय देवाय नमः’या ‘ओम घृणि सूर्याय नमः’
- मंत्र का जाप पूरा करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के लिए आपको जल, तांबे का लोटा, फूल, चावल, अगरबत्ती और सिंदूर की जरूरत पड़ेगी। सबसे पहले आप लोटे में जल भर दें। इसके बाद इसमें चावल, फूल और सिंदूर डाल दें।
- सूर्य को देखते हुए उन्हें अर्घ्य दें। अर्घ्य देते हुए गोल-गोल घूमें। अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव को प्रणाम करे और सूर्य देव मंत्र पढ़ लें।
- मंत्र पढ़ने के बाद अगरबत्ती जाला दें और सूर्य देव की आरती गाए। आरती पूरी होने के बाद फिर से सूर्य देव को प्रणाम करें और उसने अच्छे जीवन की कामना करें।
श्री सूर्य देव की आरती –
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।