558 साल बाद रक्षाबंधन पर बन रहा है दुर्लभ योग, इन राशियों पर पड़ेगा इसका गहरा असर
3 अगस्त को राखी का पर्व है और इस पर्व को धूमधाम से पूरे भारत में मनाया जाता है। राखी के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती है और अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती है। वहीं भाई अपनी बहन से वादा करता है कि वो उसकी रक्षा करेगा। इस साल राखी का पर्व बेहद ही खास होने वाले हैं। क्योंकि राखी के दिन विशेष योग बन रहे हैं।
558 साल बाद बन रहा है ये योग
पंडितों के अनुसार इस साल राखी पर राहु मिथुन राशि में होगा और केतु धनु राशि में। जिससे की विशेष योग बनेगा। इससे पहले ये योग 558 साल पहले यानी साल 1462 में बना था। साल 1462 में भी राहु-केतु की यही स्थिति थी। पंडितों के अनुसार इस साल रक्षाबंधन पर गुरु अपनी राशि धनु में और शनि मकर में वक्री रहेगा। जबकि चंद्र भी शनि के साथ मकर में रहेगा। जो कि बेहद ही शुभ योग होगा।
12 राशियों पर ग्रहों का पड़ेगा असर
रक्षाबंधन के दिन बन रहे योग का मेष, वृष, कन्या, वृश्चिक, धनु, मकर और मीन राशि के लोगों पर शुभ असर पड़ेगा और इन लोगों को हर कार्य में सफलता मिलेगी। इतना ही नहीं इन राशि के जातकों का स्वास्थ्य भी सही बना रहेगा। हालांकि मिथुन, सिंह, तुला और कुंभ राशि के लोग जरा संभलकर रहें। वहीं कर्क राशि के जातकों पर सामान्य असर देखने को मिलेगा।
राखी का समय
3 तारीख को सुबह 7.30 बजे के बाद पूरे दिन श्रवण नक्षत्र रहेगा। इस दिन आप 9.29 के बाद पूरे दिन राखी बांध सकते हैं। वहीं ये पर्व पूर्णिमा के दिन आते है। इसलिए आप इन दिन गुरुओं की पूजा भी करें और अपने गुरु का आशीर्वाद भी अवश्य लें।
इस तरह से बांधें रक्षासूत्र
- रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। नहाने के बाद एक थाली लेकर उसमें सरसों के दाने, केसर, चंदन, चावल, दूर्वा और रक्षासूत्र रख लें।
- इस थाली को मंदिर में रखकर रक्षासूत्र की पूजा करें।
- पूजा करने के बाद अपने भाई के दाहिने हाथ की कलाई पर रक्षासूत्र बांध दें और उसका मुंह मीठा करा दें। अगर भाई छोटा है तो वो अपनी बहन के पैर छूकर उससे आशीर्वाद जरूर लें।
राखी से जुड़ी है ये कथा
राखी मनाने से जुड़ी कथा के अनुसार सबसे पहले इंद्राणी ने देवराज इंद्र को रक्षासूत्र बांधा था। कहा जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ था। जिसमें देवताओं को पराजित होना पड़ा था। असुरों ने स्वर्ग पर अधिकार जमा लिया था। तब स्वर्ग को वापस लेने के लिए देवराज इंद्र और सभी देवता ने देवगुरु बृहस्पति से मदद मांगी और इंद्र ने देवगुरु से कहा कि वो स्वर्ग छोड़कर नहीं जा सकते हैं।
इंद्र की ये बात इंद्राणी ने सुनी ली और इंद्राणी ने सावन माह की पूर्णिमा के दौरान विधि-विधान से रक्षासूत्र तैयार किया। जिसे इंद्र के हाथों में बांध दिया। इंद्राणी ने इंद्र से कहा कि इस रक्षासूत्र की मदद से इंद्र की जीत होगी और उन्हें स्वर्ग लोक वापस मिल जाएगा। इंद्र और अन्य देवताओं ने असुरों से युद्ध किया और असुरों को पराजित कर स्वर्ग लोक वापस ले लिया। तभी से ये पर्व मनाए जाने लगा।