कभी लोकल ट्रेनों में टॉफियां बेचा करते थे महमूद, संघर्ष कर ऐसे बने बॉलीवुड के कॉमेडी किंग
बॉलीवुड में अमिताभ, आर डी बर्मन और पंचम दा जैसे दिग्गजों को ब्रेक देने का श्रेय भी महमूद को जाता है
50 के दशक में हिंदी सिनेमा में एक ऐसा नायाब सितारा था जिसने पर्दे पर लोगों को हंसाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। बॉलीवुड में कॉमेडी किंग के रुप में पहचान बनाने वाले वो स्टार थे महमूद। 71 वर्ष की उम्र में आज ही के दिन महमूद साल 2004 में इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। 23 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि होती है। महमूद ने ना सिर्फ कॉमेडी से लोगों को हंसाया बल्कि एक से बढ़कर एक रोल करके खुद को एक शानदार एक्टर भी साबित किया था। इतना ही नहीं महमूद एक बेहतरीन निर्देशक, प्रोड्यूसर और सिंगर भी थे। आज आपको बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
फिल्मों के लिए ड्राइवर बन गए थे महमूद
महमूद का जन्म 29 सितंबर 1932 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज में काम किया करते थे। महमूद को बचपन से ही एक्टिंग का बहुत शौक था। वो बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपना करियर बनाना चाहते थे। घर की आर्थिक जरुरतों को पूरा करने के लिए महमूद मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेन में टॉफियां बेचा करते थे। पिता की सिफारिश पर उन्हें 1943 में आई फिल्म ‘किस्मत’ में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट एक्टिंग करने का मौका मिला। इस फिल्म में उन्होंने अशोक कुमार के बचपन का किरदार निभाया था।
बॉलीवुड में फिल्में मिलना उन दिनों भी आसान नहीं था। महमूद की किसी से इंडस्ट्री में जान पहचान नहीं थी। वो हमेशा इसी कोशिश में लगे रहते कि किसी तरह उन्हें फिल्मों में काम मिल जाए। इसके लिए उन्होंने ड्राइविंग तक सीख ली थी और निर्माता ज्ञान मुखर्जी के ड्राइवर भी बन गए। महमूद ने सोचा था कि इस तरह उन्हें कलाकारों, निर्माताओं और निर्देशकों के करीब जाने का मौका मिलेगा। किस्मत भी शायद यही चाहती थी और महमूद के साथ कुछ ऐसा ही हुआ।
परवरिश और छोटी बहन ने दी सफलता
ड्राइविंग के चलते अक्सर महमूद ऐसे ही बड़े लोगों के आस-पास रहा करते थे। इसका उन्हें ये फायदा मिला कि उन्हें दो बीघा जमीन, प्यासा, जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे। महमूद को उनके जीवन का सबसे बड़ा ब्रेक 1958 में आई फिल्म ‘परवरिश’ से मिला। इस फिल्म में उन्होंने राजकपूर के भाई की भूमिका निभाई थी। अपने अभिनय से उन्होंने हर किसी का दिल जीत लिया।
परवरिश के बाद ‘छोटी बहन’ उनके करियर की जबरदस्त फिल्म साबित हुई। इस फिल्म के हिट होते ही महमूद की एक स्टार के रुप में पहचान बन गई और बॉलीवुड के दरवाजे उनके लिए पूरी तरह से खुल गए। महमूद ने अपनी प्रतिभा का परिचय देने के लिए कई तरह के रोल निभाए। 1968 में आई फिल्म ‘पड़ोसन’ में महमूद ने नकारात्मक किरदार निभाया था। ‘मास्टर जी’ का किरदार निभाकर महमूद ने हर किसी का दिल लूट लिया।
(फिल्मफेयर द्वारा प्रकाशित तस्वीर)
कई बड़े सितारों को दिया था ब्रेक
महमूद ने ना सिर्फ खुद का करियर सवारा बल्कि इंडस्ट्री को नायाब कलाकार देने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। जिस दौर में अमिताभ बच्चन बॉलीवुड में फिल्म पाने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे। उस दौर में महमूद ने अमिताभ बच्चन को पहला सोलो रोल दिया था। महमूद ने अमिताभ को ‘बॉम्बे टू गोवा’ फिल्म में काम दिया था जो अमिताभ के करियर में खास फिल्म साबित हुई थी।
इतना ही नहीं महमूद ने ही आर डी बर्मन और पंचम दा जैसे संगीत के महारथियों को उनका पहला ब्रेक दिया था। महमूद को उनके करियर मे करीब 3 बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने करियर में करीब 300 से ज्यादा फिल्में की और फिर 23 जुलाई 2004 को महमूद हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए।