तो इस वजह से नंदी के कान में बोली जाती है मनोकामना, पढ़ें इस परंपरा से जुड़ी कथा
शिव भगवान के मंदिरों में नंदी की मूर्ति जरूर होती है। शिवलिंग की पूजा करने के साथ ही नंदी पर भी जल और दूध चढ़ाया जाता है। कई लोग नंदी के कान में अपनी मनोकामान भी बोलते हैं। दरअसल ऐसी मान्यता है कि नंदी के कान में बोली कई कामना सीधा शिव तक पहुंच जाती है और शिव भगवान उस कामना को पूरा कर देते हैं। इसलिए जब भी लोग मंदिर जाते हैं और शिव की पूजा करते हैं। तो नंदी के कान में अपनी मनोकामना भी जरूर कहते हैं।
नंदी के कान में क्यों कहते हैं मनोकामना
शिव मंदिर में नंदी भगवान की मूर्ति जरूर स्थापित की जाती है। मान्यता है कि जहां भी शिव मंदिर होता है, वहां पर नंदी भगवान की मूर्ति होना अनिवार्य है। बिना नंदी की मूर्ति के मंदिर अधूरा माना जाता है। इतना ही नहीं नंदी की मूर्ति को हमेशा शिवलिंग के सामने ही स्थापित किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं और सदा शिव के साथ रहते हैं।
कैलाश पर्वत पर भी शिव जी के साथ नंदी वास करते हैं। नंदी कैलश पर्वत की पहरेदारी करते हैं। कथाओं के अनुसार जो भी कैलश पर्वत पर शिव भगवान से मिलने के लिए आता था, उसे सबसे पहले नंदी से अनुमित लेने पड़ती थी। नंदी के माध्यम से ही शिव से मुलाकात की जा सकती थी। दरअसल शिव जी की समाधि और तपस्या में कोई विघ्न ना आए। इसलिए नंदी हमेशा पहरेदारी करते थे। शिव के समाधि और तपस्या में रहने के दौरान जो भी संदेश उनके लिए आते थे, वो नंदी को दिए जाते थे। जो कि इन्हें शिव तक पहुंचाते थे। इसलिए आज भी जो भी बात शिव तक पहुंचानी होती है उसे नंदी को बताया जाता है। ऐसा माना जाता है कि नंदी के कान में बोली गई हर मनोकामना वो शिव जी तक पहुंचा देते हैं। इसलिए मंदिर में शिव की पूजा करने के बाद लोग नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं।
माने जाते हैं शिव के अवतार
नंदी को शिव का अवतार भी माना जाता है। कथा के अनुसार शिलाद नाम के एक मुनि हुआ करते थे, जो कि ब्रह्मचारी थे। वंश समाप्त होने के डर से इनके पितरों ने इन्हें संतान उत्पन्न करने को कहा। जिसके बाद शिलाद मुनि ने भगवान शिव की तपस्या की और इनसे अयोनिज और मृत्युहीन पुत्र मांगा। भगवान शिव ने शिलाद मुनि को ये वरदान दे दिया।
वहीं एक दिन शिलाद मुनि भूमि जोत रहे होते हैं। तब उनको एक बालक मिलता है। शिलाद ने इस बालक को नंदी नाम दिया। वहीं एक दिन दो मुनि ने नंदी को बताया कि वो अल्पायु हैं। जिसके बाद नंदी ने महादेव की आराधना की। महादेव ने प्रसन्न होकर नंदी को दर्शन दिए और नंदी को बताया कि वो उनके अंश हैं, इसलिए उन्हें मृत्यु से डरने की जरूरत नहीं है? नंदी ने महादेव से कहा कि वो उनको अपने साथ रख लें। तब महादेव ने नंदी को अपना गणाध्यक्ष बना दिया और नंदी सदा उनके साथ रहने लगे।