बेहद दिलचस्प है गुरु पूर्णिमा का पौराणिक महत्व, यहां जानें तारीख और पूजन का सही समय
प्रति वर्ष आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को देशभर में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन गुरु व इष्ट देव की पूजा अर्चना की जाती है। इस वर्ष यानी 2020 में गुरू पूर्णिमा 5 जुलाई रविवार को पड़ रहा है। दिलचस्प बात ये है कि 5 जुलाई को चंद्रग्रहण भी है और इसी दिन पूरे देश में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। बता दें कि 5 जुलाई का ये ग्रहण दक्षिण एशिया, अमेरिका समेत ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। बहरहाल, हम यहां चंद्रग्रहण नहीं, बल्कि गुरु पूर्णिमा के बारे में विस्तार से बताएंगे। हिंदू मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आइये जानते हैं आखिर क्या हैं इस पर्व के पौराणिक महत्व?
गुरु पूर्णिमा पर्व का महत्व
हर धर्म में गुरु का बड़ा स्थान होता है और उसे हमेशा विशेष दर्जा दिया जाता है। हिंदू धर्म की बात करें, तो इसमें भी गुरु का स्थान सर्वोच्च बताया गया है। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने अपने गुरू की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा को लेकर कई मान्यताएं हैं, उन्हीं में से एक ये है कि इसी दिन ऋषि वेद व्यास का जन्म हुआ था। बता दें कि ऋषि वेद व्यास ने ही महाभारत की रचना की थी, इसलिए भारत के कई हिस्सों में इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन ऋषि वेदव्यास की पूजा भी की जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कई लोग इस विशेष दिन में अपने गुरु, इष्ट और आराध्य देव की पूजा अर्चना करते हैं।
पौराणिक महत्व
हिंदू धर्म के वेद शास्त्रों में बताया गया है कि गुरु का स्थान हमेशा सर्वोपरि होता है और गुरु त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) से भी बड़े हैं। कहा जाता है कि हर किसी के जीवन में एक गुरु होता है, जो उसे अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का रास्ता दिखलाता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व प्राचीन काल से ही मनाया जा रहा है। बात की जाए अगर गुरूकुल के समय की, तो वहां भी शिक्षा ग्रहण करने वाले सभी छात्र इस दिन अपनी पूरी सच्ची श्रद्धा-भक्ति के साथ अपने गुरु की आराधना करते थे और न सिर्फ इस दिन गुरू को पूजते थे बल्कि उन्हें धन्यवाद भी देते थे। कहा तो ये जाता है कि शिष्य की गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा ही एक गुरु के लिए असल गुरु दक्षिणा होती है।
गौरतलब है कि गुरु पूर्णिमा के दिन उत्तर प्रदेश में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का चलन है। बता दें कि इस दिन कई लोग नदी, तालाबों में स्नान और दान दक्षिणा भी करते हैं, गुरु पूर्णिमा के दिन ऐसा करना शुभ माना जाता है। वहीं देशभर के कई मंदिरों में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने का चलन भी है। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्र अपने गुरूओं समेत शिक्षकों को सम्मानित करते हैं। इस तरह से देखा जाए, तो हिंदू धर्म परंपरा और भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है।
गुरुपूजन का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष विशेषज्ञों की माने तो गुरु पूर्णिमा पर धनु राशि का चंद्रमा, पूर्वाषाढ़ नक्षत्र और शुभ योग बन रहा है, जिसकी वजह से यह दिन काफी शुभ होने वाला है। ऐसे में यदि शुभ मुहूर्त में इस दिन पूजा की जाए तो आपको सफलता ज़रूर मिलेगी। बता दें कि गुरु पूजन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह कर्क लग्न में 7:36 बजे से 11 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, यदि आप दोपहर में करना चाहते हैं, तो 3 बजकर 2 मिनट से 5 बजकर 18 मिनट तक शुभ होगा। इतना ही नहीं, शाम को भी गुरु पूजन के लिए शुभ मुहूर्त बन रहा है और यह शाम को 6:6 बजे से 8:23 बजे तक रहेगा।