काफी लंबा चलेगा गलवान घाटी विवाद, चीन की कमर तोड़ने के लिए भारत सरकार बना रही है यह पॉलिसी
चीन देश को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार ने अपनी कमर कस ली है और सरकार की और से कई ऐसे अहम फैसले लिए जा रहे हैं, जिससे की चीन देश की अक्ल ठिकाने आ जाएगी। दरअसल चीन की और से गलवान घाटी में जो कुछ किया गया है। उसके बाद भारत सरकार ने चीन के खिलाफ अपनी पॉलिसी को बदल लिया है। भारत सरकार ने चीन के साथ हुए समझौेते को अनदेखा कर अब भारतीय सैनिकों को सीमा के हालातों से निपटने के लिए खुली छूट दे दी है।
दरअसल भारत और चीन के बीच हुए एक समझौते के तहत दोनों देशों की सेना एक दूसरे पर हथियार नहीं उठा सकती है। यहीं वजह थी कि भारतीय सेना ने हिंसक झड़प के दौरान अपने हथियारों का प्रयोग नहीं किया। लेकिन अब भारत सरकार ने चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए इस अपनी पॉलिसी को बदल दिया है और सैनिकों को खुली छूट दी है।
500 करोड़ के खरीदे जाएंगे हथियार
चीन के खिलाफ बनाई जा रही दूसरी पॉलिसी के तहत भारत सरकार ने 500 करोड़ के हथियारों के सौदे को भी मंजूरी दे दी है। ताकि भारतीय सेना और मजबूत हो सके और डटकर चीन का सामान कर सके। इसके अलावा सरकार चीन को आर्थिक मोर्चे पर भी घेरने में लगी हुई है और चीन से कम आयात करने पर जोर दे रही है।
भारत को ठोस रणनीति बनाने की जरूरत
जवाहरलाल यूनिवर्सिटी स्थित सेंटर फॉर चाइनीज एंड साउथ ईस्ट एशियन स्टडीज के प्रोफेसर बीआर दीपक ने चीन के साथ चल रहे इस विवाद पर कहा है कि भारत को एक ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है। दोनों देशों के बीच चलने वाली ये लड़ाई काफी लंबे समय तक चलने वाली है और ये विवाद डोकलाम विवाद से भी लंबा चल सकता है। सरकार को इस विवाद का हल खोजने के लिए चीन से जुड़े विशेषज्ञों की मदद लेनी चाहिए।
प्रोफेसर दीपक के अनुसार 60 के दशक में चीन ने खुद ये कहा था कि गलवन घाटी पूरी तरह से भारत का क्षेत्र है। वहीं अब चीन ने गलवान को पहली बार निशाना बनाया है। प्रोफेसर दीपक का मानना है कि चीन ऐसा इसलिए कर रहा है कि क्योंकि भारत की और से यहां पर सड़क बनाई जा रही है। चीन को लग रहा है कि ऐसा करने से चीन की और से पाकिस्तान में बनाए जा रहे आर्थिक गलियारे पर असर पड़ेगा। जिस पर वो 60 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा है। यही वजह है कि चीन नहीं चाहता है कि भारत का इस क्षेत्र में दबदबा बनें।
प्रोफेसर दीपक का ये भी मानना है कि आर्थिक मोर्चे पर चीन को पिछाड़ा जा सकता है। लेकिन ऐसा करने के लिए एक अच्छी रणनीति की जरूरत होगी। वर्तमान में चीन पर हमारा उद्योग काफी हद निर्भर करता है और सुरक्षा से जुड़ी चीजें भी चीन से ही आती हैं। आर्थिक मोर्चे पर भारत ये तय कर सकता है कि कहां पर चीन से भागीदारी हो और कहां नहीं।
भारत है चीन से मजबूत
प्रोफेसर दीपक का कहना है कि भारत चीन से काफी मजबूत है। भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है और हर जगह चीन मजबूत नहीं है। इसलिए भारत के लिए Tit for Tat की नीति कारगर साबित हो सकती है।
गौरतलब है कि चीन के खिलाफ भारत सरकार ने अपना मोर्चा शुरू कर दिया है और भारत सरकार चीन को सबक सिखाने के लिए तैयार है। 15 जून की हिंसक झड़प को लेकर जो रवैया भारत सरकार ने अपनाया है उससे चीन को कड़ा संदेश दिया गया है। वहीं इस झड़प के बाद भारत सरकार चीन के खिलाफ कई सारी पॉलिसी भी लाने की तैयार कर रही है।