भारत में आ गई कोरोना की दवा, 103 रुपये की होगी एक गोली, 15 दिन का होगा कोर्स
दुनिया की कई सारी कंपनियां कोरोना वायरस की दवाई बनाने में लगी हुई हैं। लेकिन अभी तक किसी भी कंपनी को कामयाबी नहीं मिली है। कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस की दवाई सिंतबर महीने के बाद ही बाजार में उपलब्ध हो सकेगी। दरअसल इस समय कई सारी दवाओं पर परीक्षण किया जा रहा और ये परीक्षण सफल होने के बाद ही कोरोना की दवा को बाजार में उतारा जाएगा। वहीं कोरोना की दवाई आने तक कोरोना वायरस का इलाज फेविपिराविर (Favipiravir) से करने की सलाह दी जा रही है। वैज्ञानिकों का दावा है कि फेविपिराविर (Favipiravir) दवा कोरोना को खत्म करने में कारगर साबित हुई है और इस दवा को खाने से कोरोना को सही किया जा सकता है। जिसके बाद दुनिया का हर देश इस दवाई का प्रयोग कर रहा है।
भारत में भी अब कोरोना के इलाज के लिए फेविपिराविर (Favipiravir) दवाई का ही प्रयोग किया जाना है और भारत सरकार ने ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स (Glenmark Pharmaceuticals) को कोविड-19 के लिए ऐंटीवायरल दवा फेविपिराविर बनाने की परमिशन दे दी है। ग्लेनमार्क पहली ऐसी कंपनी है जो माइल्ड और मॉडरेट कोविड-19 मरीजों के लिए ओरल ऐंटीवायरल ड्रग लेकर आई है।कंपनी फैबिफ्लू (FabiFlu) के नाम से ये दवा बनाती है।
103 रुपए की होगी एक टैबलेट
फैबिफ्लू के नाम से बनाई जा रही कोरोना की इस दवा के एक पत्ते में 34 टैबलेट होंगी और एक पत्ते की कीमत 3,500 रुपये रखी गई है। यानी एक टैबलेट करीब 103 रुपये की पड़ेगी।
हर मरीज को दी जाएगी ये दवा
फैबिफ्लू दवा को माइल्ड से मॉडरेट सिम्प्टम्स वाले कोरोना मरीजों को दिया जाएगा। ये दवा अस्पतालों और प्रिस्क्रिप्शन पर मेडिकल स्टोर्स में मिलेगा।
इस तरह से करती है कोरोना को सही
ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने इस दवा का प्रयोग माइल्ड लक्षणों वाले 90 और मॉडरेट लक्षणों वाले 60 मरीजों पर किया था। ये दवा मरीज की कोशिकाओं में जाते ही कोरोना वायरस को बढ़ने से रोकती है। यानी संक्रमण की शुरुआती स्टेज में शरीर में वायरस को फैलने से रोकने में ये दवा असरदार है। रिसर्चर्स के मुताबिक, FabiFlu का इस्तेमाल इन्फेक्शन की शुरुआती स्टेज में ही किया जाना चाहिए। क्योंकि बाद की स्टेज में वायरस फैल जाता है और कई तरह की दिक्कतों को जन्म देता है। जिससे की ऑर्गन फेल्योर हो जाता है।
15 दिन का होगा कोर्स
ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स के अनुसार इस दवा का कोर्स 15 दिनों का होता है। पहले दिन मरीज को 200mg की 9 टैबलेट्स दी जाती हैं। अगले दिन से 200mg की 4-4 टैबलेट्स खिलाई जाती हैं। इसी तरह से इस दवा का कोर्स कुल 15 दिनों का होता है।
80 प्रतिशत मरीज हुए सही
इस दवाई का क्लिनिकल ट्रायल सफल रहा है और क्लिनिकल ट्रायल के दौरान 80 पर्सेंट मरीजों पर इस दवा का असर देखा गया है। इसलिए जब तक कोरोना की दवा बाजार में नहीं आती है। तब तक ये दवा इस बीमारी को खत्म करने का सबसे अच्छा विकल्प मानी जा रही है।
गौरतलब है कि इस वक्त दुनिया का हर देश कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है और भारत में कोरोना के मामले 4 लाख से अधिक पहुंच गए हैं। ऐसे में ये दवा बेहद ही लाभकारी साबित होने वाली है।