WHO ने कोरोना वायरस को लेकर दी चेतावनी, कहा-बेहद घातक चरण में पहुंच चुके हैं हम
कोरोना वायरस का संक्रमण अपने घातक चरण में पहुंच चुका है और दुनिया में कोरोना से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 87 लाख को पार कर चुका है। कोरोना को लेकर WHO ने एक बार फिर से दुनिया को चेतावनी दी है और कहा है कि ये वायरस ज्यादा खतरनाक चरण में जा चुका है। जिससे की हालात और गंभीर होने वाले है। दरअसल कोरोना के बढ़ते मामले को देखकर WHO ने ये बात कही है। कोरोना के मामले बढ़ने से कोरोना वायरस 10 गुना खतरनाक हो चुका है और कोरोनी वायरस से अब ज्यादा बड़ी आबादी प्रभावित होने वाली है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हम नए और खतरनाक चरण में पहुंच चुके हैं। एक ही दिन में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग इस वायरस की चपेट में आए हैं। जिनमें से आधे से ज्यादा मामले अमेरिका से हैं। जबकि एशिया और मिडिल ईस्ट से भी कोरोना के मामले काफी बढ़ रहे हैं और यहां से काफी केस आ रहे हैं। जिनेवा में वर्चुअल प्रेस वार्ता करते हुए टेड्रोस ने दुनिया को कोरोना को लेकर ये चेतावनी दी है।
स्पेनिश फ्लू की तरह फैल रहा है कोरोना
कोरोना को स्पेनिश फ्लू से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल स्पेनिश फ्लू भी कोरोना की तरह ही फैला था। एक्सपर्ट का कहना है कि स्पेनिश फ्लू की तरह कोरोना वायरस भी एक के बाद एक कई चरणों में आएगा। साल 1918 में स्पेनिश फ्लू ने दुनिया में तबाही मचाई थी। टेड्रोस ने भी स्पेनिश फ्लू का जिक्र किया और कहा कि साल 1918 में फैले स्पेनिश फ्लू बीमारी एक के बाद एक तीन बार लौटी थी। इसलिए जैसे ही लोग असावधान होंगे। कोरोना का घटता कहर फिर लौट आएगा और ज्यादा प्रभावी होकर लौटेगा।
स्पेनिश फ्लू के अलावा साल 1957 और 1968 में जो फ्लू फैले थे वो भी बाद में वापस आए थे। लंदन के Imperial College की रिस्पॉन्स टीम के अनुसार कोरोना भी चरणों में आ सकता है जैसे दूसरी महामारियां आई थीं।
क्या एंटीबॉडी निभाएगी अहम भूमिका
जो लोग कोरोना की चपेट में आए हैं उनके शरीर में एंडीबॉडी लंबे वक्त तक असरदार रहती है। एंटीबॉडी की वजह से वायरस का अटैक कमजोर पड़ जाता है। ऐसे में अगर एंटीबॉडी खत्म होने में 2 साल लगते हैं तो ये दो साल बाद लौटेगा। अगर साल भर या कुछ महीनों में ही कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी कमजोर पड़ जाती है तो ये जल्द लौट आएगा।
चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एंटीबॉडी को लेकर एक स्टडी की जो कि वुहान के उन सारे अस्पतालों के हेल्थ वर्कर्स पर की गई , जो कि कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे थे। इस स्टडी में पाया गया कि लगभग 23,000 से ज्यादा डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ मरीजों के संपर्क में आए। इनमें से 25 प्रतिशत लोग वायरस से संक्रमित हुए। वहीं इन 25 प्रतिशत में से केवल 4 प्रतिशत में ही एंटीबॉडीज पाई गईं यानी कोरोना होने के बाद हर किसी के शरीर में एंटीबॉडी नहीं बना पा रहा है या कम वक्त में उसका असर खत्म हो जा रहा है।
इस वजह से फैल रहा है कोरोना वायरस
जिन देशों ने अपने यहां पर लॉकडाउन खोल दिया है। वहां पर कोरोना वायरस फैलने का खतरा और अधिक हो गया है। सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था के कारण कई सारे देश लॉकडाउन खोलने में मजबूर हैं। यूरोप के कई देशों ने बबल ट्रैवल शुरू कर दी है। इसके तहत अपेक्षाकृत सुरक्षित देशों के लोग एक से दूसरे देश यात्रा कर सकते हैं। वहीं अमेरिका में भी आंशिक स्तर पर ही लॉकडाउन है। जबकि भारत में लॉकडाउनन को कई चरणों में खोलने की प्रक्रिया जारी है। WHO ने लॉकडाउन खोलने को संक्रमण बढ़ने की वजह बताई है।