केजरीवाल के पास सैलरी देने के लिए नहीं हैं पैसे, कुमार विश्वास ने कहा पूरी दिल्ली को मौत का कुआँ..
पूरी दिल्ली को मौत का कुआँ बनाकर अब स्वराज-शिरोमणि कह रहे हैं कि कोरोना से लड रहे डॉक्टरों को ..
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने कोरोनावायरस महामारी के बीच केंद्र सरकार से अपने राज्य के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए 5000 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मांगी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से गत 26 मई को इस बाबत एक पत्र लिखा गया है।
कुमार विश्वास का तंज
मनीष सिसोदिया की ओर से एक ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से यह जानकारी दी गई है। दिल्ली सरकार द्वारा कर्मचारियों की सैलरी के लिए केंद्र से मदद मांगे जाने पर कुमार विश्वास ने दिल्ली सरकार पर जोरदार हमला बोला है। कुमार विश्वास ने कहा है कि पहले तो विज्ञापनों और चुनावी-रेवडियों पर इन्होंने इतने पैसे खर्च कर दिए और अब कह रहे हैं कि इनके पास डॉक्टरों का वेतन देने के लिए पैसे ही नहीं हैं।
कुमार विश्वास का ट्वीट
लाखों Cr की चुनावी-रेवड़ियाँ, टैक्सपेयर्स के हज़ारों Cr अख़बारों में 4-4 पेज के विज्ञापन व चैनलों पर हर 10 मिनट में थोबड़ा दिखाने पर खर्च करके, पूरी दिल्ली को मौत का कुआँ बनाकर अब स्वराज-शिरोमणि कह रहे हैं कि कोरोना से लड रहे डॉक्टरों को सैलरी देने के लिए उनके पास पैसा नहीं हैं?
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) May 31, 2020
कुमार विश्वास ने इस संबंध में एक ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि टैक्स चुकाने वालों के हजारों करोड़ रुपये केजरीवाल सरकार ने अखबारों में 4-4 पेज का विज्ञापन देकर खर्च कर दिए। हर 10 मिनट पर उनका थोबड़ा देखने को टीवी चैनलों पर मिल रहा है। पूरी दिल्ली को उन्होंने मौत का कुआं बना दिया है और अब स्वराज शिरोमणि कह रहे हैं कि कोरोना से लड़ने वाले डॉक्टरों को वेतन देने के लिए उनके पास तो पैसे ही नहीं हैं।
मनीष सिसोदिया ने बताया
इससे पहले सिसोदिया ने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन की वजह से प्रतिकूल असर पड़ा है। दिल्ली भी इससे अछूती नहीं रही है। अपने न्यूनतम खर्च की समीक्षा दिल्ली सरकार की ओर से की गई है। सिर्फ सैलरी और ऑफिस खर्च पर इसके मुताबिक 3500 करोड़ रुपए का मासिक खर्च आता है। पिछले दो महीने में दिल्ली सरकार को जीएसटी से केवल 500 करोड़ रुपये के मासिक संग्रह की प्राप्ति हो पाई है। जीएसटी एवं अन्य स्रोत को मिलाकर केवल 1735 करोड़ रुपये का ही प्रथम तिमाही में संग्रह हो पाया है। इसी अवधि में पिछले वर्ष 7799 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह दिल्ली सरकार को मिला था। इस वर्ष राजस्व संग्रह में 78 फ़ीसदी की गिरावट आई है।
दिल्ली को नहीं मिली मदद?
सिसोदिया ने अपने ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि इस वक्त 5000 करोड़ रुपये की कम-से-कम दिल्ली को आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों को केंद्र सरकार से आपदा राहत कोष से सहायता मिल जाती है, लेकिन दिल्ली सरकार को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है। केंद्र की ओर से दिल्ली सरकार को सामान्य तौर पर भी कोई आर्थिक मदद मुहैया नहीं कराई जाती है। ऐसे में अब जब दिल्ली में राजस्व का संग्रह नहीं हो पा रहा है तो केंद्र की ओर से मदद किया जाना बहुत ही जरूरी है। यदि हमें केंद्र सरकार से मदद मिलती है तो हम अपने कर्मचारियों, डॉक्टरों, शिक्षकों, इंजीनियरों और सिविल डिफेंस के लोगों के साथ कोरोना राहत में जुटे अन्य कर्मचारियों की सैलरी का भी भुगतान कर पाने में समर्थ होंगे।
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