वो उससे भीख मांगने आती, वो उसे खाना दे देता…खाना बांटते-बांटते हुआ प्यार और फिर कर ली शादी
यह कहावत तो सबने सुनी होगी कि ‘ये इश्क नहीं आसान बस इतना समझ लीजे, एक आग का दरिया है और डूब के जाना है’. यह कहावत आशिकों के बीच बहुत मशहूर है. जब दो लोगों को एक-दूसरे से सच्चा प्यार होता है तो उन्हें कुछ नहीं दिखाई देता. सच्चा प्यार करने वाले लोग उम्र, ऊंच-नीच, जात-पात से परे होते हैं. सच्चा प्यार होने पर दुनियाभर की बंधने भी दो प्रेमियों को एक होने से रोक नहीं पाती.
आज के इस लेख में हम आपको ऐसी ही एक निश्छल प्रेम कहानी सुनाने जा रहे हैं. ये कहानी है एक व्यक्ति कि जिसे अपने पास भीख मांगने आई एक महिला से प्यार हो गया. ये कहानी है यूपी के कानपुर की. कानपुर के रहने वाले एक व्यक्ति को उस महिला से प्यार हो गया जो उसके घर भीख मांगने आई थी. कोरोना से ग्रस्त होकर महिला व्यक्ति के घर भीख मांगने गयी थी.
लालता प्रसाद कानपुर के एक प्रॉपर्टी डीलर हैं. एक दिन महामारी के बीच उनकी मुलाकात नीलम से हुई. नीलम से मुलाकात के बाद उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा कि वे रोजाना नीलम समेत बाकी गरीबों तक खाना पहुंचाने का काम करें. लालता प्रसाद का ड्राइवर अनिल अपने मालिक की बात मान रोजाना गरीबों को खाना पहुंचाने लगा. वह दिन का खाना गरीबों तक पहुंचाया करता था.
जब भी अनिल की मुलाकात मालिक से होती वह अक्सर नीलम के बारे में बातें करता. लालता प्रसाद (प्रॉपर्टी डीलर) अपने ड्राइवर की भावनाओं को समझ चुका था. लालता ने अनिल (ड्राइवर) से कहा कि तुम दिन में तो उसे खाना दे आते हो पर रात में वह क्या खाती होगी. मालिक की ये बात सुन अनिल असमंजस में पड़ गया और रोजाना रात को भी नीलम के पास उसे खाना देने जाने लगा.
प्रॉपर्टी डीलर लालता प्रसाद समझ चुके थे कि अनिल ने अपना दिल नीलम को दे दिया है. ऐसे में उन्होंने दोनों को एक करने का सोचा. लालता ने अनिल के पिता से दोनों की शादी की बात की. उन्होंने अनिल के पिता को शादी के लिए राजी कर लिया. वहीं अनिल नीलम पर तो अपना दिल हार ही चुका था.
अनिल और नीलम आखिरकार अपनी मंजिल तक पहुंच ही गये और बुधवार को बुद्ध के आश्रम में दोनों की शादी करा दी गयी. शादी के बाद अनिल और नीलम बेहद खुश हैं और लालता प्रसाद का आभार करते नहीं थक रहे.
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