पैदा होते ही क्यों रोने लगते हैं बच्चे? जाने इससे जुड़ी वैज्ञानिक और पौराणिक वजह
जब भी कोई बच्चा पैदा होता है तो वो तुरंत रोने लगता है. यदि बच्चा ना रोए तो डॉक्टर या नर्स उसे हल्का सा मारकर रोने पर मजबूर करते हैं. ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि आखिर जन्म के बाद बच्चे का रोना इतना जरूरी क्यों होता है? क्या होगा यदि बच्चा ना रोए? ये डॉक्टर्स लोग बच्चे के रोने पर इतना जोर क्यों देते हैं? क्या इसकी वजह विज्ञान से जुड़ी है या फिर कोई पौराणिक कथा वाला मामला है? आज हम आपके इन सभी सवालों के जवाब देंगे.
वैज्ञानिक और पौराणिक वजह
इस कारण बच्चे का रोना है जरूरी
जन्म के बाद बच्चे का रोना इस बात का संकेत है कि प्रजनन प्रक्रिया सेहतमंद तरीके से हुई है. बच्चा जैसे ही रोता है तो उसके फेफड़े सांस लेने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो जाते हैं. दरअसल जब बच्चा माँ के गर्भ में पल रहा होता है तो उसके फेफड़ों में हवा की बजाए एम्नियोटिक द्रव भरा होता है. इसकी वजह ये है कि गर्भ में वह एम्नियोटिक सैक नामक एक थैली में रहता है. यह थैली एम्नियोटिक द्रव से भरी रहती है. बच्चे के शरीर को सारा पोषण भी माँ की गर्भनाल के माध्यम से मिलता है. जब ये बच्चा बाहर आता है तो इस गर्भनाल को काट दिया जाता है.
बच्चा जैसे ही माँ के गर्भ से बाहर आता है तो डॉक्टर या नर्स उसे उल्टा लटकाकर उसके फेफड़ों से ये एम्नियोटिक द्रव निकालते हैं. इस द्रव के निकलने के बाद ही बच्चे के फेफड़े सांस लेने के लिए तैयार हो पाते हैं. फेफड़े के कोने कोने से ये द्रव निकालने के लिए बच्चे का गहरी सांसें लेना जरूरी होता है. इसलिए बच्चे को रुलाया जाता है. रोने की वजह से वो गहरी सांसें लेने पर मजबूर हो जाता है. इस प्रक्रिया से फेफड़ों की कार्यात्मक इकाई एल्विओली तक हवा जाने आने के सभी द्वार खुल जाते हैं. एक बार ये द्रव बाहर निकल जाए तो बच्चे के फेफड़ों में हवा का संचार सुचारू रूप से होने लगता है और वो सामान्य तरीके से सांस लेता है.
रोने की एक वजह ये भी
माँ की प्रसव क्रिया उसके साथ साथ बच्चे के लिए भी कष्टदायक होती है. बच्चे को एक बहुत ही संकरे द्वार से बाहर निकलना होता है. माँ के शरीर में उसकी दुनिया और आसपास का वातावरण अलग होता है. वो वहां सुरक्षित महसूस करता है. फिर जब उसे माँ के गर्भ से बाहर एक नई दुनिया में लाया जाता है तो उसका वातावरण चेंज हो जाता है. बच्चा खुद को असुरक्षित महसूस करता है. इस कारण भी वो स्वयं रोना शुरु कर देता है.
पौराणिक मान्यता
विष्णु पुराण के अनुसार जब ब्रह्माजी सृष्टि की रचना करने के लिए स्वयं जैसे पुत्र उत्पन्न करने पर विचार करते हैं तो उनकी गोद में एक नीले रंग का बालक प्रकट होता है. ये बालक रोते हुए ब्रह्माजी की गोद में इधर उधर भागने लगता है. जब ब्रह्माजी इसकी वजह पूछते हैं तो वह कहता है ‘मैं कौन हूँ, कहां हूँ?’ इस पर ब्रह्मा जी कहते हैं पैदा होते ही तुमने रोना शुरू कर दिया. इसलिए आज से तुम्हारा नाम रूद्र है. रूद्र के पूर्व किसी भी बच्चे ने रोना शुरू नहीं किया था. बस तभी से जन्म के बाद बाकी बच्चों में रोने का निमय बन गया.