घर आ जाओ मां…. मां के घर आने की राह देख रही थी 4 साल की बच्ची, अब खुद जाना पड़ा अस्पताल
कोरोना संक्रमित निकले बच्चे, लेकिन मां ने नहीं छोड़ा एक पल भी साथ, मौत के मुंह से निकाल लाईं बाहर
देश में कोरोना को हराने के लिए कोरोना वॉरियर्स रात दिन मेहनत कर रहे हैं और इस जंग को जीतने में लगे हुए हैं। इन वॉरियर्स को अपनी ड्यूटी भी निभानी है और साथ ही खुद को सुरक्षित भी रखना है। लगातार कोरोना संक्रमितों के बीच रहने वाले डॉक्टर, नर्स, पुलिस और मीडियाकर्मी अपनी जान को दांव पर लगाकर लोगों को सुरक्षित रख रहे हैं। ऐसे ही एक कोरोना वॉरियर की कहानी सामने आई है जिसकी 4 साल की बच्ची की कहानी आपको भावुक कर देगी। इस 4 साल की बच्ची की मां नर्स है। अपना फर्ज निभाते हुए मां संक्रमित हो गई और बेटी को उसे खुद से दूर करना पड़ा। हालांकि अब उसकी 4 साल की बच्ची भी कोरोना पॉजिटिव निकल गई है।
4 साल की बच्ची को जाना पड़ा अस्पताल
हमादिया अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल वॉर्ड में नर्स कोरोना संक्रमितों की सेवा में लगी हुईं थी। इसी बीच वो खुद संक्रमित हो गईं। माना जा रहा है कि नर्स के कारण ही उसकी बेटी भी संक्रमित हो गई। नर्स मां को अस्पताल में ही भर्ती किया गया है। जब उसकी बेटी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो ऐंबुलेंस उसे लेने घर पहुंची और वो उदास हो गई। वहीं अस्पताल में भर्ती मां रोने लगी। बता दें कि नर्स का सैंपल 4 मई को लिया गया था और 7 मई को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
नर्स को चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया। मां की बीमारी की बात जानकर नन्ही से बच्ची अपनी मां के ठीक होने की प्रार्थना करने लगी। कॉन्टेक्ट हिस्ट्री के आधार पर नर्स के परिवार के 9 सदस्यों को भी 9 मई के लिए सैंपल लिए गए। परिवार के सदस्यों में नर्स की 4 साल की बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव हो गई। ऐंबुलेंस जब उसे घर लेने पहुंची तो वो उदास हो गई। बच्ची महज 4 साल की है, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे उसे सब समझ आ रहा हो इसके बाद भी ऐंबुलेंस के ईएमटी भूपेंद्र बच्ची को बहलाने लगे कि वो उसे उसकी मां के पास ले जा रहे हैं।
मां की ममता ने बचाई बच्चे की जान
मां और बच्चों में फैले संक्रमण की ये कोई नई कहानी नहीं है। इससे पहले चंडीगढ़ के पीजीआई में भी कोरोना का ऐसा मामला देखने को मिला। हालांकि यहां पर एक मां अपने कोरोना संक्रमित 18 महीने की बच्चे को मौत के मुंह से बचा लाई। वो मां अपने बच्चे के साथ 14 दिनों तक बेड पर रही, लेकिन वो संक्रमित नहीं हुई। इसके बाद डॉक्टरों ने बच्ची के साथ महिला के भी सैंपल लिए लेकिन हर बार उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। बता दें कि 20 अप्रैल को उसकी बेटी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। वहीं डॉक्टरों को भी हैरानी है कि मां इस संक्रमण से कैसे बच गई। उन्होंने कहा कि इस बारे में हम जांच करेंगे।
वहीं ऐसे बहुत से केस सामने आए जहां अपने संक्रमित बच्चों के साथ जुड़े रहने पर भी माएं इस प्रकोप से बच गईं। 3 साल के मुमताज की मां साहिबा है। वो मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं। इन्होंने 14 दिन अपने संक्रमित बेटी के साथ ही बिताए, लेकिन बच्ची के साथ रहने के बाद भी उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई हैं। 25 साल की रुकसाना भी अपनी संक्रमित बेटी के साथ 900 किमी पैदल चलकर अपने घर पहंची थी।
एक केस इंदौर का है जहा मनीषा राजौरे नाम की एक महिला ने 16 अप्रैल को एक बच्ची को जन्म दिया था। इसके बाद 1 मई को नवजात में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। मां ने हार नहीं मानी और अपनी संक्रमित बच्ची को लेकर वो चोइथराम के एक अस्पताल में रहीं। साथ ही मास्क और दस्ताना पहने अपनी बेटी की देखरेख करती रहीं। आज उनकी बेटी बिल्कुल सही सलामन है। वहीं पानीपत में इंस्पेक्टर तमन्ना अपनी बेटी को अपने साथ ड्यूटी पर ले जाती हैं क्योंकि उसकी देखरेख करने वाला घर पर कोई नहीं है।