शास्त्रों के अनुसार नहाते वक्त यह ग़लती करने से देवता होते हैं नाराज, ना करें यह भूल
मनुष्य अपने शरीर को तरोताजा बनाए रखने और दिनभर की भागदौड़ व थकान से छुटकारा पाने के लिए नहाता है। स्नान करने से न केवल शरीर पर जमी हुई गंदगी साफ हो जाती है बल्कि हमारी त्वचा भी चमकदार बनती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो नहाने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ लोग ठंडे पानी से स्नान करते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में नहाने को लेकर कुछ विशेष नियमों का उल्लेख किया गया है, जिनका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है। इन नियमों का पालन हर किसी मनुष्य को करना चाहिए। लेकिन जैसे-जैसे समय बदलता जा रहा है वैसे-वैसे लोगों की जीवनशैली, रहन-सहन सब कुछ बदलती जा रही है।
अगर हम पुराने जमाने की बात करें तो लोग पहले के समय में तालाब, नदी, पोखर में नहाया करते थे, लेकिन अब नहाने के लिए स्नानघर लोगों ने बनवा लिए हैं, जिसमें वह पूरी तरह से छिपे रहते हैं, आज हम आपको हिंदू धर्म शास्त्रों में बताए गए कुछ नियमों के बारे में जानकारी देने वाले हैं, अगर कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता है तो इसकी वजह से उसको अपने जीवन में कई परेशानियां झेलनी पड़ सकती है, नहाते समय अगर आपसे यह गलतियां होती हैं तो इससे देवता आपसे नाराज हो सकते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार जानिए स्नान करने के नियम
अगर हम गरुड़ पुराण के अनुसार देखें तो इसमें नहाने को लेकर इस बात का जिक्र किया गया है कि जब व्यक्ति स्नान करता है तो उनके पितर आसपास ही रहते हैं जब स्नान करने के दौरान उनके कपड़ों से जल गिरता है तब उनके पितर इसका ग्रहण करते हैं, जिससे यह तृप्त हो जाते हैं, इसलिए व्यक्ति को बिना कपड़ों के स्नान नहीं करना चाहिए, इससे पितर नाराज होते हैं अगर आप नग्न होकर स्नान करते हैं तो इससे आपको पितृदोष लगता है।
पद्मपुराण के अनुसार जानिए स्नान करने का नियम
मनुष्य को नहाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में होकर स्नान ना करें, क्योंकि पद्मपुराण में इस बात का जिक्र किया गया है कि जो व्यक्ति पूरी तरह से नग्न अवस्था में होकर स्नान करता है वह पाप का भागीदार बनता है, इसके बारे में यह कथा बताई जाती है कि एक बार जब गोपियां स्नान करने के लिए नदी में गई थी तब भगवान श्री कृष्ण जी ने इनके कपड़े छुपा दिए थे, तब गोपियों ने कान्हा जी से कहा कि वह उनके वस्त्र वापस कर दे, तब कान्हा जी ने कहा कि अगर तुमको अपने वस्त्र चाहिए तो तुम पेड़ पर आकर ले जाओ, तब गोपियों ने उनसे कहा था कि हम जब यहां पर नहाने आई थी तब यहां पर कोई भी नहीं था, अब हम बिना कपड़ों के जल से बाहर कैसे आ सकती है, गोपियों के इस वाक्य पर भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा था कि यह तुम्हें लगता है कि तुमको किसी ने भी नहीं देखा, परंतु मैं हर पल, हर स्थान पर मौजूद रहता हूं, जब तुम लोगों ने बिना कपड़ों के जल में प्रवेश किया तब वरुण देव ने भी तुमको देखा था, यह उनका अपमान है, यही कारण है कि व्यक्ति को कभी भी नग्न अवस्था में स्नान करने से बचना चाहिए।
उपरोक्त धर्म शास्त्रों के अनुसार बताए गए स्नान करने के नियमों के बारे में जानकारी दी गई है, अगर आप इन नियमों का पालन करते हैं तो इससे आपको अपने जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और देवता आपसे खुश रहेंगे, इसके अतिरिक्त आप नहाने के पश्चात अपने बाथरूम को गंदा ना छोड़े क्योंकि इसकी वजह से दुर्भाग्य बढ़ता है, अगर आप अपने बाथरूम को गंदा छोड़ देते हैं तो इसकी वजह से चंद्रदेव के साथ-साथ राहु-केतु का भी दोष आपको लग सकता है।