मोदी सरकार के इस फैसले से उड़ी चीन की नींद, अब भारत को दे रहा है WTO के सिद्धांतों की दुहाई
भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर पाबंदी लगा दी है। जिसके तहत चीन और भारत के अन्य पड़ोसी देश भारत सरकार की अनुमति के बिना एफडीआई में निवेश नहीं कर सकेंगे। भारत के इस कदम पर चीन देश ने आपत्ति जाहिर की है और इस फैसेल को डब्ल्यूटीओ के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है।
क्यों लिया भारत सरकार ने ये फैसला
कोरोना वायरस के कारण भारत की शेयर मार्केट काफी गिर गई थी और इसी चीज का फायदा उठाते हुए चीन ने भारत में निवेश करते हुए एचडीएफसी बैंक के एक फीसदी शेयर खरीद लिए थे। चीन के पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीसी) की एचडीएफसी में हिस्सेदारी 0.8 फीसद थी। जिसे उसने बढ़ाकर एक फीसद कर लिया है। चीन के इस कदम के बाद भारत सरकार ने देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियम और सख्त कर दिए। ताकि चीन भारत में निवेश ना कर सके। ये नियम चीन के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान के लिए भी लागू हैं।
नए नियमों के अनुसार चीन की किसी भी कंपनी या ऐसी कंपनी जिसमें किसी चीनी नागरिक की इक्विटी हों। उसे भारतीय कंपनियों में निवेश करने से पहले एक प्रस्ताव देना होगा और उस प्रस्ताव की पहले समीक्षा की जाएगी। उसके बाद ही उसे मंजूरी दी जाएगी। हालांकि सरकार ने जारी किए गए नोटिफिकेशन में चीन का नाम नहीं लिया है। बल्कि ये कहा गया है कि वो देश जिनकी सीमा भारत से लगती है। सभी को भारत में निवेश से पहले मंजूरी लेनी होगी। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अनुसार भारत में होने वाले किसी निवेश के लाभार्थी भी यदि इन देशों से संबंधित होंगे, तो मंजूरी जरूरी होगी।
दरअसल इस समय दुनिया के देश कोरोना वायरस की जंग लड़ रहे हैं। उसी बीच चीन अन्य देशों में अपना निवेश बढ़ाकर अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करने में लगा हुआ है। आपको बता दें कि भारत से पहले जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन और इटली भी ऐसा कदम उठा चुके हैं। भारत के इसी नियम से चीन भड़क गया है और अब इस नियम को गलत बता रहा है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारत का ये फैसला डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांन्त का उल्लंघन करता हैं। ये फैसला उदारीकरण, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं। अतिरिक्त बाधाओं को लागू करने वाली नई नीति G20 समूह में निवेश के लिए एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी वातावरण के लिए बनी आम सहमति के खिलाफ भी है।
चीन लंबे समय से भारत में काफी निवेश कर रहा है और एक साल के अंदर ही चीन ने भारत में 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है। कोरोना संकट के दौर में चीन अन्य देशों में निवेश कर तेजी से अधिग्रहण कर रहा है। चीन की इस नीति के कारण ही भारत और कई देशों ने निवेश के नियमों में अब बदलाव किया है। वहीं भारत सरकार के इस फैसले पर राहुल गांधी ने खुशी जाहिर की है और इस फैसले का स्वागत किया है।