अगर किसी अनजाने भय से आपके जीवन से आनंद गायब हो गया है तो अपनाएं ये तरीका!
लोग अक्सर मनोवैज्ञानिक समस्याओं के चलते परेशान होते हैं। कुछ तो ऐसी समस्याएं होती हैं, जिनका इलाज किसी दवा से संभव नहीं होता है। इसके लिए व्यक्ति को मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत पड़ती है। अगर व्यक्ति कोई चीज करने की या बदलने की ठान लेता है तो निश्चित तौर पर उसका जीवन बदल जाता है। कुछ लोगों को ना जाने क्यों किसी अनजाने भय के कारण चिंता बनी रहती है। इस वजह से उनकी रातों की नींद भी उड़ जाती है और उनका किसी काम में मन भी नहीं लगता है। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो इस कहानी पर गौर करें।
डर के साये में बिता रहा हूं अपना जीवन:
एक व्यक्ति कहीं जा रहा था। अचानक उसे हार्ट-अटैक आ गया और वह जमीन पर गिर गया। हार्ट-अटैक आने के बावजूद समय पर इलाज होने की वजह से वह बच गया। हालांकि वह बच तो गया लेकिन उसे हर समय किसी चीज का अनजाना भय सताने लगा। वह परेशान होकर एक मनोवैज्ञानि के पास गया। उसने मनोवैज्ञानिक को बताया कि मेरे जीवन से किसी अनजाने भय के कारण आनंद दूर हो गया है। मुझे हर समय किसी किसी चीज का डर लगा रहता है। मैं अपना जीवन डर के साए में बिता रहा हूं।
यह सुनने के बाद मनोवैज्ञानिक ने कहा कि चिंता मत कीजिए मैं आपको अपने जीवन की एक घटना बताता हूं। “मुझे पढ़ने का बहुत ज्यादा शौक है, इसलिए मैं पहले से ही काफी किताबें रखता हूं। मुझे कई किताबों से प्रेम है। एक दिन कहीं से मेरे घर में एक चूहा आ गया और मेरी किताबों को कुतरने लगा। मैंने चूहे को भगाने के लिए बहुत उपाय किये, लेकिन चूहा भागा नहीं। इस वजह से मेरी रातों की नींद गायब हो गयी थी।”
हो गया अपने डर से मुक्त:
मनोवैज्ञानिक यह बोलते वक्त व्यक्ति के चेहरे का भाव देखने के लिए थोड़ी देर रुका। इसके बाद उसने कहा कि, “एक छोटा चूहा मेरे मन में एक विशाल दानव का रूप लेता इससे पहले ही मैंने अपनी जरूरी किताबों को आलमारी में बंद कर दिया और कुछ गैर-जरूरी किताबें चूहे के लिए बाहर ही छोड़ दी। इस तरह से चूहा किताबें भी कुतर लेता और मेरी महत्वपूर्ण किताबें बच भी गयी। यह करने के बाद मैं अपने मन के डर से मुक्त हो गया था। अगर मैंने ऐसा ना किया होता तो अब तक मेरा छोटा डर एक बड़े राक्षस के रूप में परिवर्तित हो गया होता।”
समस्या के छोटे रहते ही ढूंढ लें उसका हल:
इसका मतलब जब कोई समस्या आपके जीवन में आये तो समय रहते ही उसका हल ढूंढ लेना ज्यादा उचित होता है। जब समस्या छोटी हो तभी उसका धैर्य और समझदारी से हल ढूंढ लेना चाहिए, वरना बाद में समस्या बड़ी हो जाती है और परेशानी का कारण बनती है।