रामायण सीरियल के निर्माता रामानंद सागर ने मौत के बिस्तर पर लिखी डायरी, पढ़कर दुनिया हुई हैरान
दूरदर्शन पर इस लॉकडाउन के दौरान रामायण और महाभारत जैसे ऐतिहासिक सीरियल्स का दोबारा प्रसारण हो रहा है। इन्हें 90 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर फिर से इन्हें प्रसारित किया जा रहा है। राम और सीता की बातें तो हो ही रही हैं, लेकिन इस वक्त इन सीरियल्स को बनाने वाले फिल्म निर्देशक रामानंद सागर की बात न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। रामानंद सागर ने रामायण और महाभारत जैसे ऐतिहासिक सीरियल बनाकर अपने नाम को हमेशा के लिए अजर-अमर कर लिया। टीबी का रामानंद सागर शिकार हो गए थे। उन्होंने अपने अंतिम दिनों में डायरी लिखी थी। इस डायरी का एक-एक कॉलम पढ़कर लोग हैरान रह जाते हैं। यहां हम आपको इसी डायरी में लिखे एक किस्से के बारे में बता रहे हैं।
बेटे ने दी जानकारी
रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने एक इंटरव्यू के दौरान यह जानकारी दी थी कि उनके पिता को पढ़ने-लिखने का इतना शौक था कि दिन-रात वे किताबों में ही डूबे रहते थे। एक दिन अचानक उन्हें खासी आई। फिर देखा कि कपड़े में खून लगा हुआ है। डॉक्टर को बुलाया गया तो पता चला कि उन्हें टीबी है। प्रेमसागर के मुताबिक के डॉक्टर के कहने पर उनके दादाजी उनके पिता रामानंद सागर को टंगमर्ग स्थित टीबी सैनिटोरियम में भर्ती करा आए। उस वक्त टीबी का कोई इलाज नहीं था। मरीज यहां आते जरूर थे, लेकिन यहां से वे लाश बनकर ही बाहर निकलते थे।
कपल हो गए ठीक
प्रेम सागर ने बताया था कि इस सैनिटोरियम में उनके पिताजी ने देखा कि दो कपल नहीं रह रहे हैं, जो एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। एक दिन दोनों स्वस्थ होकर यहां से निकल गए। पिताजी हैरान रह गए और उन्हें प्यार की ताकत का एहसास हुआ कि कैसे प्यार से किसी बीमारी को मात दी जा सकती है। उन्होंने रोज डायरी लिखना शुरू कर दिया- मौत के बिस्तर से डायरी टीबी पेशेंट की।
भेजने लगे कॉलम
प्रेम सागर ने इस इंटरव्यू में बताया था कि जो साहित्य से जुड़े हुए लोग थे, वे इसे पढ़ना पसंद करते थे। फिर उनके पिता ने कॉलम लिखकर भेजना शुरू कर दिया। एक अखबार के संपादक ने जब उनके कॉलम को पढ़ा तो वे एकदम हैरान रह गए। उन्होंने यह सोचना शुरू कर दिया कि एक आदमी इस वक्त मर रहा है। फिर भी वह लोगों को यह बता रहा है कि जीना कैसे है। अखबार के संपादक के दिल को उनके पिता का यह कॉलम छू गया। वे इस कॉलम को पढ़कर इतने अधिक प्रभावित हो गए कि उन्होंने अपने अखबार में उनका कॉलम ही ‘मौत के बिस्तर से रामानंद सागर’ नामक शीर्षक से प्रकाशित करना शुरू कर दिया।
ये हो गए फैन
रामानंद सागर के बेटे के अनुसार फैज अहमद फैज, किशनचंद्र, राजिंदर सिंह बेदी ने भी उनके पिताजी द्वारा लिखे जा रहे कॉलम की सराहना करनी शुरू कर दी थी। इस तरीके से रामानंद सागर को एक लेखक के तौर पर भी पहचान मिल गई थी।
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