कोरोना वायरस के लक्षण : कब-कैसे और कहां आ सकते हैं इस बीमारी की चपेट में? जानिए हर एक जरुरी बात
कोरोनावायरस की बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है. मेडिकल स्टाफ जो इनफेक्ट मरीजों की देखभाल कर रहे हैं उन में इंफेक्शन का खतरा सबसे अधिक है. अगर उनके किसी भी साथी को इंफेक्शन है और वे उनके साथ काम कर रहे हैं तो उन्हें भी इन्फेक्शन होने की आशंका है. वहीं अगर आप किसी इनफेक्टेड मरीज के साथ जाने अनजाने सफर कर रहे हैं या एक ही छत के नीचे रह रहे हैं तो आपके लिए कोरोनावायरस का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इस दौरान 14 दिनों में आपके शरीर में कोरोना के लक्षण दिखाई दे सकते हैं.
लक्षण-
• अगर आपको कोरोनावायरस का इंफेक्शन हुआ है तो इसकी शुरुआत में आप को हल्का बुखार, जुकाम और खांसी की समस्या हो सकती है.
• इंफेक्शन बढ़ने पर आपको निमोनिया, गंभीर सांस लेने में समस्या और सेप्सिस की समस्या भी हो सकती है.
• इसीलिए डॉक्टरों का ध्यान इंफेक्शन की शुरुआत में ही मरीजों को पहचान कर उन्हें अलग रखने पर रहता है.
• अगर किसी व्यक्ति के अंदर गंभीर लक्षण नजर आ रहे हैं तो उसे फौरन आईसीयू में एडमिट किया जाता है.
• जिन लोगों के अंदर इस वायरस के कम लक्षण नजर आते हैं उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट नहीं किया जाता है.
• अगर कोई कोरोनावायरस से इनफेक्टेड मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आ गया है और उसके शरीर में दोबारा से इस बीमारी के लक्षण नजर आ रहे हैं तो फौरन अस्पताल जाकर उसकी जांच कराएं.
लक्षणों के आधार पर 6 तरह के मरीज-
सामान्य बीमारी-
• सांस की नली में वायरल इन्फेक्शन के लक्षण नजर आते हैं.
• इसके अलावा बुखार, कफ, गले में खराश, सिरदर्द जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं.
हल्का निमोनिया-
• विशेष रुप से बच्चों के अंदर सांस लेने की तकलीफ, तेज तेज सांस चलना जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. इसके अलावा खांसी और सर्दी के लक्षण भी हो सकते हैं.
गंभीर निमोनिया-
• खासतौर पर वयस्कों के अंदर यह परिस्थिति उत्पन्न होती है. जिसमें बुखार, सांस संबंधी इन्फेक्शन देखने को मिलता है. इसके अलावा श्वसन दर प्रति मिनट 30 से अधिक हो जाता है. अगर किसी बच्चे के अंदर यह लक्षण हो तो उन्हें खासी, ब्रेस्टफीडिंग और पेय पदार्थ लेने में अक्षमता, शारीरिक थकान और तेज सांस लेना जैसे लक्षण नजर आते हैं.
एक्युट रेस्पाइरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रॉम: श्वसन संबंधी संक्रमण गंभीर
सेप्सिस-
• इस परिस्थिति में अंगों के काम करने में दिक्कत आने लगती है. वयस्कों की मानसिक स्थिरता भंग होने लगती है. सांस लेने में तकलीफ. मूत्र विसर्जन में कमी, दिल की धड़कनों का तेज होना या लो ब्लड प्रेशर लो होना, ठंड लगना जैसे लक्षण नजर आते हैं. वही बच्चों के अंदर तापमान और श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या में असमानता नजर आती है.
सेप्सिस शाक-
• वयस्कों में हाइपोटेंशन बने रहना, वही बच्चों में मानसिक भ्रम और हाइपोटेंशन के लक्षण नजर आते हैं.
अभी इलाज कैसे-
• कुछ विशेष लोगों को लोपिनावीर और रिटोनावीर दी जाती है. ऑक्सीजन की कमी हाइपोटेंशन और अंगों की निष्क्रियता के साथ डायबिटीज फेफड़ों की गंभीर बीमारी वाले 60 साल से अधिक के मरीजों को यह दवाई दी जाती है. ऐसे पेशेंट्स को लोपिनावीर रिटोनावीर 200mg, 50mg की दो डोज नियमित रूप से दी जाती है.
बुज़ुर्ग इन बातों का रखें ध्यान-
• कोरोनावायरस से बचने के लिए घर से बाहर ना निकले और लोगों से 1 मीटर की दूरी बनाए रखें.
• थोड़े थोड़े समय पर अपने चेहरे और हाथों को साबुन से धोते रहें.
• छींकते और खांसते समय अपने मुंह पर रुमाल या टिशू पेपर लगाएं.
• अगर आप इस बीमारी से बचना चाहते हैं तो अपने घर का पौष्टिक भोजन ग्रहण करें.
• अधिक मात्रा में पानी और जूस का सेवन करें.
• नियमित रूप से व्यायाम करें, पर अपने शरीर को बहुत ज्यादा ना थकाएं.
• डॉक्टर द्वारा पहले से प्रिस्क्राइब की गई दवाओं को नियमित समय पर खाते रहें.
• बाहर जाने वाले सदस्यों से फोन और वीडियो कॉल से ही बात करें.
• अपनी आंखें घुटने जैसे नॉर्मल ऑपरेशंस नहीं करवाएं.
• अपने आसपास नियमित रूप से साफ सफाई करते रहें.
• यदि आप को बुखार जुकाम या सांस लेने की समस्या है तो फौरन डॉक्टर से मिले.
बुजुर्गों को क्या नहीं करना चाहिए-
• बिना अपने चेहरे पर रूमाल रखें खांसे या छींके नहीं.
• यदि आप को बुखार है तो अपने आसपास के लोगों से दूरी बनाए रहे.
• बार-बार आंख, नाक, मुंह और जीभ को छूने से बचें.
• बीमार लोगों के नजदीक न जाए. अगर आपको कोई तकलीफ है तो खुद से इलाज ना करें.
• घर परिवार के किसी भी सदस्य को गले से ना लगाएं.
• रोजाना जांच और सलाह के लिए हॉस्पिटल जाने से बचें.
• अपने डॉक्टर से लगातार फोन पर बातचीत करते रहें.
• भीड़भाड़ वाली जगह जैसे- पार्क बाजार थिएटर और धार्मिक स्थलों के पास ना जाये.
• जरूरी काम नहीं है तो घर से बाहर ना निकले.
• परिवार के लोग इस तरह से अपने बुजुर्गों का ध्यान रखें. जिससे लॉक डाउन के दौरान उन्हें किसी तरह की तकलीफ ना हो.
• अधिक से अधिक समय उनके साथ बिताएं पर पूरी सावधानी के साथ.
• बुजुर्ग लोगों के खाने-पीने का विशेष रूप से ध्यान रखें.
• रोजाना उन्हें पौष्टिक आहार देते रहें जिससे उनके शरीर की इम्युनिटी पावर मजबूत हो.