नवरात्रि में करें इन 11 नियमों का पालन , मिलेगी मां दुर्गा की असीम कृपा संकट होंगे दूर
चैत्र नवरात्रि के दौरान भक्त मां की नौ दिनों तक अच्छे से पूजा करते हैं और मां की भक्ती में लीन हो जाते हैं। चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल तक चलने वाले हैं और इस दौरान आप 10 खास नियमों का पालन जरूर करें।
- मां की चौकी की रोज सफाई करें और चौकी के पास केवल पूजा का ही समान रखें। कई लोग चौकी के पास कई तरह की चीजें रख देते हैं। जो कि गलत है। इसलिए चौकी की सफाई का खासा ध्यान दें और चौकी के पास केवल पूजा का समान ही रखें।
2 .मां की पूजा करते समय उनको रोज ताजे फूल अर्पित करें। मां को पहले से चढा़ए गए फूल जमा करके लिफाफे के अंदर डाल दें। वहीं नवरात्रि खत्म होने के बाद ये फूल पीपल के पेड़ के पास चढ़ा आएं।
3. रोज सुबह नहाने के बाद सबसे पहले पूजा करें और उसके बाद ही घर के अन्य काम करें। क्योंकि पूजा करते समय वस्त्र एकदम साफ होने चाहिए और उनमें कोई भी गंदगी नहीं लगी होनी चाहिए। इसलिए नहाने के तुरंत बाद ही आप पूजा करें।
4. नवरात्रि के दौरान दिन के समय सोने से बचें।
5.प्याज, लहसुन और शराब का सेवन करने से बचें।
6. व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का अनाज खाने से बचें।
7. नवरात्रि के व्रत में कुट्टू का आटा, समारी के चावल, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, सेंधा नमक, फल, मेवे, का सेवन ही करें।
8. नवरात्रि की पूजा करते समय दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करें। इसके अलावा आप चाहें तो सप्तशती पाठ या चण्डी पाठ भी पढ़ सकते हैं।
9. पाठ पढ़ते समय अपने सिर को जरूर ढंके और किसी व्यक्ति से बात ना करें। अपना पूरा ध्यान पूजा पर ही लगाएं।
10. नवरात्रों के नौ दिन दाढ़ी, नाखून और बाल काटने से बचें।
इस तरह से करें पूजा
कई लोगों के मनों में यही सवाल अक्सर आता है कि वो किस तरह से मां की पूजा करें। ताकि मां उनसे प्रसन्न हो जाएं। नवरात्रि के दौरान आप अपने घर में चौकी की स्थापना करें और इस चौकी के पास जौ बोएं और कलश भी स्थापित करें। रोज पूजा करने से पहले सबसे पहले जौ को पानी दें। फिर कलश पर फूल अर्पित करें और पूजा शुरू करें। पूजा करने के बाद आरती करें।
दुर्गा जी की आरती – (Durga maa ki aarti)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी