80 के दशक का सबसे महंगा टीवी शो था ‘रामायण’, उस दौर में कुछ इस तरह होती थी इसकी शूटिंग
साल 1986 में दूरदर्शन पर रामानंद सागर द्वारा निर्देशित शो ‘रामायण’ की लोकप्रियता जितनी थी उतनी आज तक किसी सीरियल को नहीं मिली। जहां आज के समय में तमाम आधुनिक तकनीकियों के जरिए किसी फिल्म या शो को मनोरंजन से भरपूर बनाया जाता है वहीं उस दौर में इन तकनीकों के बारे में शायद ही कोई जानता हो। मगर फिर भी शो में ऐसे-ऐसे तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था और इसलिए ये शो उस दौर में भी सबका फेवरेट रहा है। मगर उस दौर में इसकी शूटिंग कैसे होती थी ये जानते हैं आप?
इस तरह होती थी ‘रामायण’ की शूटिंग
रामानंद सागर का हिट और क्लासिक रामायण का जलवा हर कोई जानता है। ये एक ऐसा सीरियल था जो देखने के लिए गलियां और सड़कें सूनसान हो जाया करती थीं। ये वो दौर था जब रामानंद सागर ने टीवी पर अपना डेब्यू किया था और उस समय ये नहीं सोचा था कि उनकी उनका ये सीरियल इतिहास रच देगा। इस सीरियल को ऐसी लोकप्रियता मिली जबसे दुनियाभर में इसके कलाकारों की पूजा होने लगी थी। आज टीवी की दुनिया काफी तरक्की कर चुकी है और टेक्नोलॉजी की दुनिया में भी नई-नई चीजें आई हैं जिसकी मदद से किसी भी सीन को दमदार बनाया जाता है।
मगर क्या आप जानते हैं कि रामायण के युद्ध में बिना कंप्यूटर ग्राफिक्स से उन सीन्स को कैसे तैयार किया जाता था? युद्ध के दृश्यों को असली बनाने के लिए करीब 2 हजार लोगों को बुलाया गया था। रामायण की शूटिंग गुजरता के अंबरगांव में हुई थी और युद्ध के दृश्यों को फिल्माने के लिए अंबरगांव से लेकर अहमदाबाद तक के सभी जूनियर आर्टिस्ट्स को बुलावा भेजा गया। साल 2016 में मोती सागर द्वारा दिए गए एक इटंरव्यू में इस बात का खुलासा हुआ। 80 के उस दौर में रामायण टीवी का सबसे महंगा शो रहा और मोती सागर के मुताबिक, एक एपिसोड के लिए 9 लाख रुपये का खर्च किया जाता था।
‘रामायण’ के सभी किरदार इतने लोकप्रिय हुए थे कि उन्हें आज भी लोग उसी किरदार से पहचानते हैं। अरुण गोविल द्वारा श्रीराम और दीपिका चिखलिया द्वारा सीता माता का किरदर लोगों को इतना पसंद आया था कि दर्शक उन्हें मिलने पर इसी किरदार से बुलाते थे। वहीं विभीषण से लेकर रावण और लक्ष्णण तक के किरदार को इतना मशहूर बना दिया था कि उन्हें दूसरे शो को करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। अरुण गोविल द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि रामानंद सागर ने पहले अरुण गोविल को राम के किरदार के लिए रिजेक्ट कर दिया था।
उन्हें भरत का रोल ऑफर हुआ था लेकिन वे राम का किरदार ही करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने शो को करने से मना कर दिया, और जिद में बैठ गए कि अगर रामानंद सागर उन्हें राम के किरदार के लिए बुलाएंगे तभी वो आएंगे। बाद में रामानंद सागर ने उन्हें फोन करके बुलाया और राम का ही रोल ऑफर किया। इसके बाद अरुण गोविल हर किसी के लिए श्रीराम ही बन गए और उन्हे अपनी छवि से बाहर निकलने का मौका नहीं मिला।