खुदाई के दौरान वाराणसी में मिला 4000 साल पुराण प्राचीन शिवलिंग, लोगों की लग गयी भारी भीड़
हमारा भारत देश धार्मिक देशों में से एक माना जाता है, हमारे देश में भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, जो अपने देवी देवताओं की पूजा करते हैं, लोगों को देवी-देवताओं पर अटूट विश्वास है, ऐसा बताया जाता है कि वर्तमान समय में भी अपने भक्तों की पुकार भगवान सुनते हैं, इसीलिए किसी ना किसी रूप में वह उनको दर्शन अवश्य देते हैं, हमारे भारत में ऐसे बहुत से पवित्र स्थल है जिनके प्रति लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है, इन्हीं स्थानों में से एक बनारस का काशी है, हिंदू धर्म में यह बहुत ही पवित्र स्थल माना गया है, यह स्थान सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र है।
बता दे कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक बार फिर से प्राचीन हिंदू सभ्यता के सबूत मिले हैं, भारत की धरती वाराणसी के पास बभानियाव गांव में खुदाई के दौरान 4000 साल पुराना शिवलिंग मिला है, जैसे ही खुदाई के दौरान यह शिवलिंग दिखा तब इसकी खबर सुनकर लोगों की भीड़ इकट्ठी होने लगी, विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि यह प्राचीन ग्रंथों में दर्ज शिल्प ग्रामों में से एक है।
वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की एक टीम ने 4000 साल पुराने शिल्प ग्राम का पता लगाया है, वाराणसी से कुछ किलोमीटर दूर बभानियाव गांव में प्रारंभिक सर्वेक्षण करने वाले विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग ने कहा है कि यहां एक ऐसी बस्ती के निशान मिले हैं जिसका वाराणसी से संबंधित साहित्य में उल्लेख किया गया है, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर ने ऐसा बताया है कि बभानियाव गांव में उनकी टीम पहुंची और वहां पर खुदाई के दौरान मंदिर के अवशेष भी दिखाई दिए हैं, इतना ही नहीं बल्कि खुदाई के दौरान सालों पुरानी लिपि की जानकारी भी टीम के हाथ लगी है।
खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान के निदेशक डॉ बी. आर. मणि की अगुवाई में टीम ने हाल ही में बभानियाव का दौरा किया था और उनको टीले पर मूर्तियों के साथ अभिलेख भी मिले थे, इसके अलावा उनको खुदाई में बहुत ही सामग्रियां मिली थी, प्रारंभिक अध्ययन के पश्चात साढ़े 3000 हजार साल पुरानी सभ्यता होने की पुष्टि की गई थी, इसके पश्चात पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के साथ मिलकर यहां की खुदाई का प्लान किया, प्रोफेसर दुबे उस टीम का हिस्सा है, जिस टीम ने यहां पर खुदाई का कार्य किया था।
जब यहां पर खुदाई कार्य चल रहा था तब खुदाई में मिट्टी के बर्तन और कई तरह की मूर्तियां भी मिली थी इन मूर्तियों पर ब्रह्मी स्क्रिप्ट भी थी, सर्वेक्षण टीम की अगुवाई करने वाले प्रोफेसर ए.के दुबे ने यह बताया है कि यह एक ऐसी बस्ती के निशान है जिसका जिक्र वाराणसी से संबंधित प्राचीन साहित्य में मिलता है, टीला पुरातात्विक संपदा से भरा होने से यह स्थान कभी एक सभ्यता विकसित होने का पता लगता है, पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार काशी से निकटता के कारण बभानियाव टीले का एक खास महत्व है, पौराणिक कथाओं के अनुसार इस बात का पता चलता है कि काशी को 5000 वर्ष पहले भगवान शिव जी ने स्थापित किया था लेकिन आधुनिक विद्वानों का ऐसा मानना है कि यह नगरी 3000 साल पुरानी है।