इस समय करें होलिका दहन, होगी श्रेष्ठ फल की प्राप्ति, जानिए शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी कथा
हिंदू धर्म में होली का त्यौहार खुशियों और उल्लास के साथ बड़ी ही धूमधाम के साथ लोग मनाते हैं, महाशिवरात्रि के बाद वर्ष का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार होली है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली का त्यौहार होलिका दहन के साथ ही आरंभ हो जाता है, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि की रात को होलिका दहन किया जाने वाला है, आपको बता दें कि 10 मार्च 2020 यानी मंगलवार के दिन होली का त्यौहार मनाया जाएगा, लेकिन एक दिन पहले रात में होलिका दहन की जाएगी, ऐसा कहा जाता है कि होलिका दहन पर सभी नकारात्मकता समाप्त हो जाती है और चारों तरफ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है, होलिका दहन से सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।
आज हम आपको इस लेख में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है? किस समय के दौरान होलिका दहन करके आपको उत्तम फल मिलेगा, इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं इसके अलावा इससे जुड़ी हुई प्रचलित कथा के बारे में भी जानकारी देने जा रहे हैं।
जानिए आखिर कब है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
लोग होली के त्यौहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं, लोग इस दिन अपने सगे संबंधियों के साथ होली का उत्सव मनाते हैं, परंतु होली से 1 दिन पहले होलिका दहन होता है, होलिका दहन के बाद ही होली का पर्व मनाया जाता है, इस साल होलिका दहन 9 मार्च के दिन यानी सोमवार की रात को रहेगी, इस दिन फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत सुबह 3:03 बजे से हो रही है जो कि 11:17 बजे पर समाप्त होगी, अगर हम होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के बारे में बात करें, तो इसका शुभ मुहूर्त का कुल समय 2 घंटे 26 मिनट तक रहने वाला है, इस दिन लोग चौराहे पर लकड़ियों का ढेर लगाकर होलिका दहन करते हैं, अगर आप शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करते हैं तो इससे आपको उत्तम फल मिलेगा, 9 मार्च को आप शाम 6:26 बजे से रात 8:52 तक होलिका दहन कर सकते हैं, यह समय बहुत ही शुभ है।
अगर हम धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देखें तो शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से व्यक्ति की कई परेशानियां दूर होती है परंतु जो लोग होलिका दहन शुभ मुहूर्त में नहीं करते हैं उनको दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है और उनके जीवन के दुख बढ़ने लगते हैं।
होलिका दहन से जुड़ी हुई कथा
होलिका दहन के पीछे एक प्राचीन कथा बताई जाती है कि हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु जी का परम भक्त था और प्रह्लाद के पिता उसको भगवान विष्णु जी की भक्ति से मना करते थे, परंतु उनके मना करने के बावजूद भी प्रह्लाद विष्णु जी की भक्ति में लीन रहता था, हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र को भगवान विष्णु जी की भक्ति करते देख काफी गुस्सा आता था जिसके चलते उसने अपने पुत्र को मारने की भी चेष्टा की थी, परंतु भगवान जी ने स्वयं प्रह्लाद की रक्षा की थी, भगवान विष्णु जी की कृपा से भक्त प्रल्हाद का हिरण्यकश्यप बाल भी बांका नहीं कर पाया था, हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को कहा, तब होलिका भक्त प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई, भगवान विष्णु जी की कृपा से आग में होलिका जल गई लेकिन प्रह्लाद का कुछ भी नहीं बिगड़ा था।