शाहीन बाग: 69 दिनों बाद खुला नोएडा-फरीदाबाद सड़क, प्रदर्शन के कारण रास्ते को किया गया था बंद
इन दिनों शाहीन बाग में जोरों-शोरों से सीएए और एनआरसी के खिलाफ धरना प्रदर्शन चल रहा है. कई दिनों से महिलाएं इस प्रदर्शन पर शांति पूर्वक तरीके से बैठी हुई हैं. महिलाएं इस बात पर अड़ी हुईं है कि चाहे कुछ भी हो जाए वह इस बात का कतई सबूत नहीं देंगी कि वह भारत की नागरिक हैं और भारत उनकी जन्म-कर्म भूमि है. उनके अनुसार, भारत का नागरिक होने के लिए उन्हें कोई सबूत दिखाने की जरूरत नहीं है.
सीएए और एनआरसी के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के कारण कई दिनों से नोएडा-फरीदाबाद मार्ग बंद था, लेकिन आज ये मार्ग खोल दिया गया है. पूरे 69 दिन बाद इस मार्ग को खोला गया है. शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के कारण बंद सड़कों के मामले को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दिया गया है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन वार्ताकार नियुक्त किये, जो इस मामले को सुलझाने में मदद करेगे. इसके चलते वार्ताकार ने दो दिनों तक प्रदर्शनकारियों से बातचीत भी की.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किये गए वार्ताकारों के नाम संजय हेगड़े (वरिष्ठ वकील), साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह है. संजय हेगड़े ने बातचीत के दौरान प्रदर्शनकारियों को बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यहां आये हैं. हम उम्मीद करते हैं कि सभी सहयोग दें ताकि मामले को सुलझाया जा सके. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि मामले का समाधान निकल जाता है तो बड़ा उदहारण सेट होगा.
वहीं, शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि, “वार्ताकारों का हम स्वागत करते हैं और हम उनकी बात भी सुनेंगे, लेकिन हम अपनी मांग जारी रखेंगे कि सरकार सीएए और एनआरसी के फैसले को वापस ले. साथ ही उन सभी मुकदमाओं को हटाया जाए जो उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर दर्ज किया है. साथ ही उन परिवारों को भी मुआवजा दिया जाए जिनके बच्चों की हत्या हुई है. मुआवजा नहीं तो कम से कम उन परिवारों को पेंशन दी जाए. अगर सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती है तो हम ऐसे ही प्रदर्शन जारी रखेंगे. नागरिकता कानून गैर संवैधानिक है. इसे सरकार को हर हाल में वापस लेना चाहिए. इतना ही नहीं, केंद्र सरकार लिखित में यह आश्वासन भी दे कि एनआरसी पूरे देश में लागू नहीं होगा”.
पढ़ें शाहीन बाग में धरना देने वाले लोगों की संख्या में आई गिरावट, उठने के के लिए तलाश रहें हैं रास्ता