राजस्थान से प्रयागराज के लिए निकली 64 टन वजनी हनुमान की प्रतिमा, संगम में करवाया जाएगा गंगा स्नान
राजस्थान (Rajasthan) से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के लिए हनुमान जी की एक मूर्ति रवाना की गई है और प्रयागराज में इस मूर्ति को गंगा स्नान करवाया जाना है। हनुमान जी की ये मूर्ति बेहद ही विशाल और भारी है और इस मूर्ति का वजन 64 टन के करीब है। रविवार को ये मूर्ति राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara) से रवाना की गई है और उत्तप्रदेश पहुंचने में इस मूर्ति को लगभग एक हफ्ते के करीब का समय लग जाएगा।
रविवार दोपहर को हनुमान जी की 28 फुट लंबी ये प्रतिमा महंत बाबूगिरी के सानिध्य में रवाना हुई है। इस मूर्ति को प्रयागराज पहुंचाने के लिए एक विशेष ट्राला बनवाया गया है और इस ट्राले में 28 चक्के हैं। ट्राले पर इस मूर्ति को रखने में लगभग 40 लोगों की और चार क्रेन की मदद लेनी पड़ी। काफी मेहनत करने के बाद इस मूर्ति को ट्राले पर सही से रखा गया।
14 दिनों का लगेगा समय
हनुमान की इस प्रतिमा को महंत बाबूगिरी के नेतृत्व में प्रयागराज पहुंचाया जाएगा और इस मूर्ति को प्रयागराज पहुंचने में सात दिनों का वक्त लग जाएगा। इसी तरह से मूर्ति को वापस से राजस्थान लाने में सात दिन और लग जाएगे। यानी ये मूर्ति लगभग 14 दिनों का सफर तय करेगी। इस मूर्ति की यात्रा भीलवाड़ा से शुरू की गई है जो कि गंगापुर, नाथद्वारा होते हुए बुधवार को उदयपुर पहुंची है। एक दिन उदयपुर में विश्राम करने के बाद इस मूर्ति को मंगलवाड़ चौराहा, चित्तौड़गढ़, कोटा, शिवपुरी के रास्तों से होते हुए उत्तर प्रदेश ले जाया जाएगा। ये मूर्ति करीब 2100 किलोमीटर का सफर तय करेगी।
लोगों ने लगाए नारे
रविवार को जब इस मूर्ति को प्रयागराज के लिए रवाना किया गया तो उस समय आश्रम में मौजूद लोगों ने जय हनुमान के नारे लगाए। मूर्ति को ले जाते समय काफी भीड़ आश्रम के बाहर जमा हो गई थी। जिसकी वजह से 12 किलोमीटर की दूरी डेढ़ घंटे में तय की गई। संकट मोचन हनुमान मंदिर के महंत बाबूगिरी महाराज ने इस मूर्ति के बारे में बताया कि ये मूर्ति 64 टन की है जो कि 2100 किमी की यात्रा तय करेगी। इस मूर्तियों को ये सफर तय करने में कई दिन लग जाएगी। इस मूर्ति के साथ महंत बाबू गिरी के साथ एक दर्जन से अधिक लोग भी प्रयागराज के लिए रवाना हुए हैं। प्रयागराज पहुंचकर इस मूर्ति को संगम के तट पर ले जाया जाएगा और वहां पर इस प्रतिमा को स्नान करवाया जाएगा। स्नान करवाने के बाद ये प्रतिमा वापस ले मंदिर लाई जाएगी और इसे मंदिर में स्थापित किया जाएगा।