105 साल की परदादी ने दी चौथी क्लास की एग्जाम, रिजल्ट में आए इतने नंबर
पढ़ाई लिखाई जीवन में बहुत जरूरी हैं. इंसान जब पढ़ लिख जाता हैं तो उसके जीवन में कई पॉजिटिव बदलाव आते हैं. हालाँकि दुःख की बात ये हैं कि हर किसी को अपनी पढ़ाई पूरी करने का अवसर नहीं मिलता हैं. गरीबी, परिवार की जिम्मेदारी या माता पिता की पिछड़ी सोच के चलते कुछ लोग ज्यादा पढ़ लिख नहीं पाते हैं. ऐसे में लोगो को पढ़ाई के प्रति जागरूक करने के लिए सरकार पिछले कई समय से साक्षरता अभियान चला रही हैं. इस अभियान के तहत बच्चों के साथ साथ बूढ़े लोगो को भी अपनी पढ़ाई पूरी करने का अवसर दिया जाता हैं. हाल ही में इस सुनहरें अवसर का लाभ 105 वर्षीय परदादी ने भी उठाया.
केरल में रहने वाली 105 साल की भगीरथी अम्मा पिछले साल नवंबर में राज्य साक्षरता अभियान के तहत कोल्लम आयोजित की गई परीक्षा में सम्मिलित हुई थी. इस दौरान अम्मा ने कक्षा चौथी की परीक्षा दी थी. अब हाल ही में 5 फरवरी को इस परीक्षा का रिजल्ट भी आ गया. ऐसे में अम्मा ने आश्चर्यजनक रूप से टोटल 275 अंकों में से 205 अंक प्राप्त कर लिए. ऐसा कर ये अम्मा भारत की सबसे ज्यादा उम्र वाली स्टूडेंट भी बन गई.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राज्य सरकार द्वारा चलाए गए इस साक्षरता अभियान में टोटल 11593 स्टूडेंट्स ने क्लास चौथी की एग्जाम दी थी जिसमे से 10012 पास हो पाए. अच्छी बात ये रही कि इनमे 9456 महिलाएं हैं.
105 वर्षीय अम्मा बताती हैं कि बचपन में उनकी पढ़ने की बहुत इच्छा थी. हालाँकि माँ का जल्दी निधन हो गया था जिसके चलते उन्हें ही भाई बहनों के लालन पालन की जिम्मेदारी संभालनी पड़ गई. उस दौरान अम्मा 9 साल की थी. बाद में जब वे तीस बरस की हुई तो पति का भी देहांत हो गया. ऐसे में उनके ऊपर 6 बच्चों की जिम्मेदारी आ गई. वर्तमान में अम्मा 12 पोते-पोतियां और परपोते-परपोतियां की दादी और परदादी हैं.
इस अभियान के विशेषज्ञ वसंत कुमार अम्मा की तारीफ़ करते हुए बताते हैं कि भागीरथ जी की याद्दाश्त अभी भी काफी तेज हैं. यहाँ तक कि उन्हें देखने में भी कोई समस्यां नहीं आती हैं. इसके साथ ही अम्मा गाना गाने में भी माहिर हैं. फिलहाल अम्मा के पास आधार कार्ड ना होने की वजह से विधवा पेंशन या वृद्ध पेंशन नहीं मिल पा रही हैं. ऐसे में अम्मा को ये आशा हैं कि अधिकारी लोग उन्हें इस पेंशन को दिलाने में सहयता करेंगे.
उधर सोशल मीडिया अपर लोग अम्मा की पढ़ाई के प्रति लगन को देख बहुत तारीफ़ कर रहे हैं. पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती हैं. यदि आपके घर भी कोई ऐसा व्यक्ति हैं जो ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हैं तो आप उसे पढ़ा लिखा सकते हैं. पढ़ने लिखने का अधिकार सभी के पास होना चाहिए. वैसे आजकल इन बातों में काफी सुधर देखने को भी मिलता हैं. पहले के ज़माने में लोग पढ़ाई लिखाई को इतना जरूरी नहीं मानते थे. खासकर महिलाओं को ज्यादा पढ़ने की इजाजत नहीं होती थी. यदि आपके घर अभी भी ये पिछड़ी सोच हैं तो उसे बदलने का समय आ गया हैं. इसी में देश की भलाई हैं.