यहां भक्तों से मिलने आते हैं महाबली हनुमान, लेकिन हर 41 साल के बाद!
कलयुग में भी भगवान का अस्तित्व है, इस बात को कोई नहीं ठुकरा सकता है. हिन्दू धर्म ग्रंथों में सात ऐसे महामानवों का वर्णन है जो अजर अमर है और आज भी इस धरती पर उपस्थित है, उनमे से एक हनुमान जी भी हैं. जी हाँ, ऐसा देखने को भी मिला है. रामायण काल में जन्मे हनुमान सैकड़ों साल बाद महाभारत काल में भी जिंदा थे. कहा जाता है कि महाभारत की लड़ाई से ऐन पहले हनुमान जी पांडवों से मिलने आए थे.
महाभारत की लड़ाई के सैकड़ों साल बाद आज के डिजिटल युग में भी हनुमान जी के जिंदा होने की खबर आ रही है. श्रीलंका के घने जगंलों में भगवान हनुमान का अस्तित्व आज भी देखने को मिलता है. सैकड़ों साल बाद आज के आधुनिक युग में भी भगवान हनुमान जी के जिंदा होने की खबर आ रही है. बताया जा रहा है कि श्रीलंका के जंगलों में हनुमान जी की मौजूदगी के संकेत मिले हैं.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक श्रीलंका के जंगलों में कुछ ऐसे कबीलाई लोगों का पता चला है जिनसे मिलने हनुमान जी आते हैं. अखबार ने इन जनजातियों पर अध्ययन करने वाले आध्यात्मिक संगठन ‘सेतु’ के हवाले से यह सनसनीखेज खुलासा किया है. कहा गया है कि हनुमान जी हाल ही में इस जनजाति के लोगों से मिलने आए थे. इस जनजाति के लोगों को ‘मातंग’ नाम दिया गया है.
कौन हैं मातंग :
मतंग श्रीलंका के जंगलों में एक ऐसा कबीलाई समूह है जो कि बाहरी समाज से पूरी तरह से कटा हुआ है. श्रीलंका के पिदुरु पर्वत के जंगलों में रहने वाले मातंग कबीले के लोग संख्या में बहुत कम हैं और ये श्रीलंका के अन्य कबीलों से काफी अलग हैं. उनका रहन-सहन और पहनावा भी अलग है. उनकी भाषा भी प्रचलित भाषा से अलग है. सेतु एशिया के अनुसार हनुमान जी हर 41 साल में इनसे मिलने आते है. यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि हनुमान जी का जन्म भी मातंग ऋषि का आश्रम में हुआ था.
आखिरी बार कब आए हनुमान जी :
सेतु के मुताबिक 27 मई 2014 हनुमान जी का इस जंगल में बिताया आखिरी दिन था. इसके बाद वे 41 साल बाद यानी 2055 में आएंगे. ग्रंथो के मुताबिक हनुमान जी को वरदान मिला था कि उनकी कभी मृत्यु नहीं होगी यानी वे अमर रहेंगे.
हनुमान जी कैसे पहुंचे श्रीलंका :
भगवान राम के स्वर्ग सिधारने के बाद हनुमान जी अयोध्या से लौटकर दक्षिण भारत के जंगलों में लौट आए. उसके बाद उन्होंने फिर से समुद्र लांघा और श्रीलंका पहुंचे. उस समय हनुमान जी जब तक श्रीलंका के जंगलों में रहे, इस कबीले के लोगों ने उनकी सेवा की. हनुमान जी ने इस कबीले के लोगों को ब्रह्मज्ञान का बोध कराया. उन्होंने यह भी वादा किया कि वे हर 41 साल बाद इस कबीले की पीढियों को ब्रह्मज्ञान देने आएंगे.
क्या है ‘लॉगबुक’ या ‘हनुपुस्तिका’ :
खबरों के मुताबिक हनुमान जी जब इस कबीले के साथ रहते हैं,कबीले का मुखिया हर बातचीत और घटना को एक “लॉग बुक” में दर्ज करता है. इस लॉगबुक को ही हनुपुस्तिका कहा जाता है. 2014 के प्रवास के दौरान हनुमानजी द्वारा जंगल वासियों के साथ की गई सभी लीलाओं का विवरण भी इसी पुस्तिका में नोट किया गया है. सेतु इस लॉग बुक का अध्ययन कर रहा है और इसका आधुनिक भाषाओं में अनुवाद करा रहा है.
कहां है पिदुरु पर्वत :
यह पर्वत श्रीलंका के बीचोबीच स्थित है जो श्रीलंका के नुवारा एलिया शहर में स्थित है. पर्वतों की इस श्रृंखला के आसपास घंने जंगल है. इन जंगलों में आदिवासियों के कई समूह रहते हैं. सेतु ने दावा किया है कि हमारे संत पिदुरु पर्वत की तलहटी में स्थित अपने आश्रम में इस पुस्तिका तो समझकर इसका आधुनिक भाषाओँ में अनुवाद करने में जुटे हुए हैं ताकि हनुमानजी के चिरंजीवी होने के रहस्य जाना जा सके.
हनुमान जी हनुमंडल के बीच में अपने आसन पर बैठे दिखाई दे रहे हैं
मतंगों के पास है एक रहस्यमयी मंत्र :
हनुमान जी आज भी जीवित हैं और हिमालय के जंगलों में रहते हैं. सेतु के अनुसार मातंगों के पास एक ऐसा रहस्यमय मंत्र है जिसका जाप करने से हनुमानजी सूक्ष्म रूप में प्रकट हो जाते हैं. जंगलों से निकलकर वे भक्तों की सहायता करने मानव समाज में आते हैं,लेकिन किसी को दिखाई नहीं देते. सेतु के अनुसार जिस जगह पर यह मंत्र जपा जाता है उस जगह के 980 मीटर के दायरे में कोई भी ऐसा मनुष्य उपस्थित न हो जो आत्मिक रूप से हनुमानजी से जुड़ा न हो. अर्थात उसका हनुमानजी के साथ आत्मा का संबंध होना चाहिए. मातंगों अनुसार हनुमानजी को देखने के लिए आत्मा का शुद्ध होना जरूरी है. निर्मल चित्त के लोग ही उनको देख सकते हैं. मंत्र जप का असर तभी होता है जबकि भक्त में हनुमानजी के प्रति दृढ़ श्रद्धा हो और उसका हनुमानजी से आत्मिक संबंध हो.
आइये आपको भी बताते हैं वो अद्भुत मंत्र-
कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु , निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु :
‘सेतु हनुमान बोधि’ नाम एक का मठ है, जो पिदुरुथालगला की पहाड़ियों पर स्थित है.‘सेतु हनुमान बोधि’ इस बात से संतुष्ट हैं कि रामभक्त हनुमान प्रत्येक 41 वर्षों में इन आदिवासियों को दर्शन देते हैं और वो अमरता को प्राप्त हैं.