ट्रंप से डरकर अपनी नौसेना पर पानी की तरह पैसा बहा रहा है चीन!
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की बदली परिस्थितियों के मद्देनजर चीन अपने आगामी रक्षा बजट में पीएलए नेवी के लिए ज्यादा कोष आवंटित कर सकता है. समुद्र में अमेरिकी प्रभुत्व पर चीन अंकुश लगाना चाहता है. चीन पेइचिंग समुद्र में अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती देना चाहता है. इसके मद्देनजर चीन पूरी दुनिया के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन कर अमेरिका के मुकाबले अपनी गंभीर दावेदारी पेश करना चाहता है. हाल के महीनों में चीन ने नौसेना पर ध्यान बढ़ा दिया है.
चीनी नौसेना की भूमिका काफी अहम हो गई है :
पिछले कुछ महीनों से चीनी नौसेना की भूमिका काफी अहम हो गई है. चीन का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर स्वशासित ताइवान के इर्द-गिर्द चक्कर काट रहा है. चीन के कई नए जंगी जहाज कई दूर-दराज के हिस्सों में देखे जा रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पोत निर्माण में तेजी लाने का वादा किया है. इसके साथ ही ताइवान और पूर्वी चीन सागर जैसे मुद्दों पर अमेरिकी राष्ट्रपति के अप्रत्याशित रुख को लेकर चीन हताश है. ऐसा नहीं कि चीन ने खुद को सैन्य क्षमताओं में मजबूत करने की यह मुहिम हाल-फिलहाल शुरू की है. पिछले लंबे समय से वह लगातार अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने और सेना के आधुनिकीकरण की कोशिशों में जुटा हुआ है. पिछले 15-20 सालों में चीन ने इसके लिए पानी की तरह पैसा भी बहाया है.
चीन को ट्रंप का रुख उसकी तरफ होने का डर है. इसका कारण यह है कि ट्रंप अत्यंत अस्थिर हैं और यदि ऐसा होता है तो चीन तैयार है. कूटनीतिज्ञ ने कहा कि नौसेना को लेकर बीजिंग आराम की मुद्रा नहीं अपनाएगा. चीन की नौसेना की हाल की गतिविधि पर बीजिंग में रहने वाले एक एशियाई कूटनीतिज्ञ ने कहा, ‘यह संकट में प्रदर्शन है.’ चीन खुद को अमेरिकी नौसेना के मुकाबले तैयार करने में लगा हुआ है. वह किसी भी लिहाज से खुद को अमेरिकी नौसेना से कमतर नहीं रहने देना चाहता. चीन अपना खर्च बढ़ाएगा. 2016 में चीन का कुल सरकारी रक्षा खर्च 139 अरब डॉलर रहा. पिछले वर्ष चीन ने छह वर्षों में न्यूनतम वृद्धि की थी. चीन द्वारा 7.6 फीसद वृद्धि करने से हैरत पैदा हुई थी. इस वर्ष का रक्षा बजट अगले महीने संसद की सालाना बैठक में पेश किया जाएगा. 2016 में चीन ने 18 नए जहाजों को अपने बेड़े में शामिल किया. इनमें मिसाइल विध्वंसक और मिसाइल वाहक जहाज भी शामिल थे. चीन में मुश्किल से ही कोई ऐसा हफ्ता गुजरता होगा जब वह किसी नए उपकरण की घोषणा नहीं करता. जनवरी 2017 में चीन ने एक नए जासूसी टोहक जहाज को भी अपने बेड़े में तैनात किया है. चीन की मंशा समझने के लिए उसके रक्षा बजट पर क्षेत्र और वाशिंगटन गहरी निगाह रख रहा है.