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एक कंजूस व्यक्ति को स्वर्ग जाने का मौका मिलता है, मगर कंजूसी के चलते ये मौका गंवा देता है

एक कथा के अनुसार एक आदमी बेहद ही कंजूस था। इस व्यक्ति के पास खूब सारा धन था। लेकिन उसने कभी भी इस धन का प्रयोग किसी पुण्य कार्य के लिए नहीं किया था। इस व्यक्ति के यहां जो भी भिखारी आता था ये व्यक्ति उन्हें खाली हाथ ही भेज देता था। हालांकि एक दिन इस व्यक्ति के घर में रखें फल खराब हो जाते हैं और ये व्यक्ति इन फलों को फेंकने की जगह इन्हें गरीब लोगों में बांट देते है। कुछ समय बाद इस कंजूस व्यक्ति की मौत हो जाती है।

मौत के बाद इस व्यक्ति को नर्क मिलता है। नर्क में जाकर ये व्यक्ति बेहद ही दुखी हो जाता है और रोज भगवान से प्रार्थना करता है कि उसे नर्क से निकालकर स्वर्ग भेज दें। इस व्यक्ति को इतने दुख में देखकर भगवान को इसपर दया आ जाता है और भगवान चित्रगुप्त को इस व्यक्ति को नर्क से निकालने को कहते हैं। चित्रगुप्त इस व्यक्ति द्वारा किए गए कर्म को देखता हैं और पाते हैं कि इसने जीवन में कभी भी कोई पुण्य का कार्य नहीं किया है। जिसकी वजह से ही इसे नर्क दिया गया है। हालांकि इस व्यक्ति द्वारा गरीब लोगों को दान किए गए फलों के चलते चित्रगुप्त इस व्यक्ति को स्वर्ग भेजने के लिए राजी हो जाता है। कुछ दिनों बाद नर्क में एक रस्सी इस व्यक्ति को दी जाती है। जिसके सहार स्वर्ग में पहुंचा जा सकता था। ये व्यक्ति इस रस्सी को पकड़कर नर्क से बाहर निकलने लग जाता है। जैसे ही नर्क में मौजूद अन्य लोगों को इस रस्सी के बारे में पता चलता है वो भी इसपर चढ़ने लग जाते हैं। अन्य लोगों को रस्सी का इस्तेमाल करता देख कंजूस व्यक्ति को नफरत होने लग जाती है और ये जोर से चिलाकर कहता है। ये रस्सी ईश्वर ने मुझे दी है। इसलिए तुम लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हो। ये कहते ही रस्सी तुरंत गायब हो जाती है और ये व्यक्ति नर्क में ही रहे जाता है। कंजूस व्यक्ति को कुछ समझ नहीं आता है और ये जोर-जोर से भगवान को आवाज देने लग जाता है और सवाल करते हुए कहता है कि आखिर क्यों रस्सी गायब हो गई? तभी चित्रगुप्त प्रकट ‘ होकर इस व्यक्ति को कहते हैं अगर तुम्हारे अंदर अन्य लोगों की मदद करने की या उन्हें कुछ देने की भावना नहीं है। तो तुम भी भगवान से ये उम्मीद मत रखों की वो तुम्हें सब कुछ देंगे। चित्रगुप्त की ये बात सुनकर व्यक्ति को समझ आ जाता है कि उसके कंजूस होने के कारण ही उसे नर्क मिला और आज उसे जो एक मौका स्वर्ग में जाने को मिला था वो अपनी कंजूसी की वजह से उसने गंवा दिया है।

इस कथा से मिली सीख

हम जो औरों लोगों को देते हैं हम भी वहीं पाते हैं। इसलिए औरों लोगों की मदद जरूर करें और समय समय पर चीजों का दान करें। क्योंकि अंत में हमारे कर्म ही इस बात का फैसला करते हैं कि हमें नर्क मिलता है कि स्वर्ग।

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