शहीद की अंतिम यात्रा में उमड़ा कश्मीरी जनसैलाब!
पिछले कई महीनों से तनाव और अलगावादियों की करतूतों के लिए सुर्खियों में रहे कश्मीर में शुक्रवार को एक नया दृश्य देखने को मिला. कश्मीर में एक शहीद सैनिक को अंतिम विदाई देने के लिए हजारो कश्मीरी उमड़ पड़े. लांस नायक गुलाम मोहिउद्दीन गुरूवार को आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. शुक्रवार को कश्मीर के पंचपोरा में सेना के शहीद जवान का मातम मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए.
अपने बेटे आहिल का जन्मदिन मनाकर पिछले महीने दक्षिण कश्मीर के बिजबहेरा के मारहामा मोहल्ला के अपने घर से जब यह वीर सैनिक निकला था तब लोगों को बमुश्किल पता था कि उनकी तकदीर में क्या लिखा है. शुक्रवार जब तिरंगे में लिपटा हिआ उनका शव अंतिम संस्कार के लिए लाया गया तब इलाके में शोक की लहर दौड गयी. वह गुरिवार को शोपियां जिले में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में शहीद हुए थे.
शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए :
अलगाववादियों के बंद और पत्थरबाजी से जूझने वाले इस राज्य में लंबे समय बाद देश के लिए शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए. जब लांस नायक गुलाम मोहिउद्दीन का शव उनके पैतृक गांव अनंतनाग के पंचपोरा पहुंचा तो हजारों लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे. सबकी आंखे नम थीं. उनकी अंतिम विदाई राष्ट्रीय राइफल्स के अधिकारियों की मौजूदगी में दी गई. मोहिनुद्दीन राष्ट्रीय राइफल्स की 44 वीं बटालियन में तैनात थे.
शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ी भीड़ को देखकर सेना के अफसर और जवान भी हैरान थे. इस दौरान कई लोग रोते देखे गए. पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई. जिस वक्त राठेर को बंदूकों की सलामी दी गई, कई लोग अपने आंसू नहीं रोक पाये. दक्षिणी कश्मीर का ये इलाका हिज्बुल मुजाहिदीन का गढ़ माना जाता है. लिहाजा एक सैनिक के लिए लोगों के इस जज्बात से खुद सेना भी हैरान है. इससे पहले श्रीनगर में आर्मी चीफ बिपिन रावत ने भी राठेर को श्रद्धांजलि दी थी.
सेना के जवान के लिए उमड़ी इतनी भीड़ को देखकर किसी को यकीन नहीं हो रहा था. सेना के अधिकारियों ने बताया कि मोहिउद्दीन ने सेना की परंपरा को अतिम सांस तक निभाया और ऐसे जवान पर हमें गर्व है. यही वजह है श्रीनगर में हुए शहीद के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत भी शामिल हुए. लांस नायक मोहिउद्दीन अपने घर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. परिवार में वे इकलौते बेटे थे. उनके साथ 2 और सैनिक भी शहीद हुए थे.