महाशिवरात्रि : जानिए कैसे होंगे शिव जी खुश, पूरी होंगी मनोकामनाएं और मिलेगा सौभाग्य!
कल महाशिवरात्रि है इसलिए मंदिरों को सजाने-संवारने का काम शुरू हो गया है। इसलिए आज हमने शिव जी और शिवरात्री से जुड़ी लगभग सभी बातों को एक ही लेख में पिरोने का प्रयास किया है ताकि आप सभी को सब कुछ एक ही जगह मिल सके। इस बार चतुर्दशी तिथि 24 फरवरी रात 8.33 बजे शुरू होकर 25 रात 8.42 बजे तक रहेगी। इस दिन गंगा सहित अन्य नदियों में स्नान व दान का विशेष महत्व है। कई शिवालयों व घरों में भक्त चारों पहर की पूजा तथा रुद्राभिषेक व महामृत्यंजय मंत्र का जाप करते हैं। Mahashivratri festival Shiv worship. तो आइये आपको बताते हैं कि इस शिवरात्री शिव जी को कैसे खुश करें……
शिव का क्या होता है अर्थ –
सबसे पहले तो हम आपको शिव का अर्थ बता देते हैं। शिव का अर्थ कल्याण होता है। इस दिन अपना और सभी के कल्याण के लिए महादेव के नाम पर रात्रि जागरण करना चाहिए। वहीं बिना प्राण प्रतिष्ठा किए घर में शिवलिंग की स्थापना के लिए ये दिन सबसे सुंदर दिन मन जाता है। सुखी दांपत्य जीवन के लिए तो शिवरात्रि वरदान है। इस बार भद्रा का योग भी नहीं है। शिवजी का नाम लेकर रात्रि जागरण से अच्छी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। शंकर और पार्वती के विवाह के दिन ‘शिवरात्रि है। किसी धार्मिक स्थल पर विवाह के लिए उत्तम दिन है।
आज के दिन ऐसे करें शिव जो को खुश –
आज के दिन सुबह भगवान शिव का ध्यान कर स्नान करें और भोलेनाथ का नाम लेकर अच्छे दिन की कामना करें। स्नान करने के बाद पास के मंदिर या शिवालय में जाकर शिव की पूजा करें और ऊं नम: शिवाय का जाप करें। वैदिक विधि विधान से रूद्राभिषेक करें व फूल, अरवा चावल, गाय का कच्चा दूध, मधु, चंदन, बेल पत्ता, गन्ने का रस, धान का पत्ता, धतूर का फल और फूल एकत्रित कर भगवान शिव को चढ़ाएं। इसके बाद अंत में शुद्ध जल और गंगा जल चढ़ाकर शिव जी की पूजा और आरती करें।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। शिवरात्रि के दिन शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर ऊं नमो नम: शिवाय मंत्र से पूजा करनी चाहिए। रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए। अगले दिन प्रात: ब्राह्मणों को दान देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन करें ये उपाय मिलेगा सौभाग्य –
धर्मग्रंथों में अनादि, अनंत, सर्वव्यापी भगवान शिव की भक्ति दिन और रात के मिलन की घड़ी यानी प्रदोष काल और अर्द्धरात्रि में सिद्धि और साधना के लिए बहुत ही शुभ व मंगलकारी बताई गई है। इसलिए महाशिवरात्रि हो या प्रदोष तिथि शिव भक्ति से सभी सांसारिक इच्छाओं को पूरा किया जा सकता है।
स्कंद पुराण के अनुसार इस कालखंड में साधना करना अनेक प्रकार के भयों से मुक्त कराता है। प्रदोषकाल में पुन: स्नान करके रुद्राक्ष की माला धारण करें पूर्व या उत्तर मुख करके शिव भगवान की आराधना करें। तीनों पहर में जल, गंध, पुष्प, बेलपत्र, धतूरे के फूल, गुलाब जल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें। ऐसा करने से शासन सत्ता, राजनीति मुकदमे आदि में सफलता प्राप्त होती है व मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।