आज है हिंदुस्तान को एक धागे में पिरोने वालर सरदार पटेल की पुण्यतिथि, आप भी दें श्रद्धांजलि
देश में एक से बढ़कर एक महापुरुष हुए जिन्होंने देश की आजादी और विकास के लिए अपनी जान लगा दी। उन्हीं में एक सरदार वल्लभ भाई पटेल थे जिन्होंने अपनी सूझ-बूझ के साथ देश की प्रगति में कई योगदान दिए। इन्हें लौह पुरुष भी कहा जाता था और आज है हिंदुस्तान को एक धागे में पिरोने वालर सरदार पटेल की पुण्यतिथि, इस वजह से आज हम आपको इनसे जुड़ी कुछ बातें बताएंगे। इस मौके पर देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि भी दी।
आज है हिंदुस्तान को एक धागे में पिरोने वालर सरदार पटेल की पुण्यतिथि
देश को नई दिशा और दशा देने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल किसी काम को करना चाहते थे उसे करके ही रहते थे। उनके काम करने की दृढ़ इच्छा शक्ति की वजह से ही उनको लौहपुरुष के नाम से भी पुकारा जाता है। आजादी के बाद बंटवारे के समय भारतीय रियासतों के विलय से स्वतंत्र भारत को नए रूप में गढ़ने वाले पटेल भारत के सरदार के रूप में पहचाने जाते हैं। वे अपने अदम्य साहस और प्रखर व्यक्तित्व के कारण ही भारत को एक धागे में पिरोने का काम किया था। इनका जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को हुआ और 15 दिसंबर, 1950 को इनका निधन हो गया था। किसान परिवार में जन्में पटेल ने लंदन में बेरिएस्टर की पढ़ाई की लेकिन उनके ऊपर महात्मा गांधी के विचारों का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने अपना जीवन भारत को आजादी दिलवाने में समर्पित कर दिया। देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाने और एक सूत्र में पिरोने में एक योगदान के लिए साल 2014 से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। जूनागढ़ के नवाब महावत खान की रियासत का अधिकतर हिस्सा हिंदुओं का हुआ करता था। जिन्ना और मुस्लिम लीग के इशारे अल्लाबख्स को अपदस्थ करके वहां शाहनवाज भुट्टो को दीवान बना दिया गया था। जिन्ना ने नेहरू के साथ मिलकर जूनागढ़ के बहाने कश्मीर की सौदेबाजी कर ली और 14 अगस्त, 1947 को महावत खान ने जूनागढ़ के पाकिस्तान में होने का ऐलान किया जिसमें सरदार पटेल बहुत नाराज हुए थे।
Tributes to the great Sardar Patel on his Punya Tithi. We remain eternally inspired by his exceptional service to our nation.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2019
पटेल ने जूनागढ़ में सेना भेजी और वहां की जनता ने भी नवाब का साथ नहीं दिया। इस बीच बढ़ते आंदोलन को देखकर महावत खान कराची भाग खड़ा हुआ और आखिर में नवंबर, 1947 के पहले हफ्ते में विलय की घोषणा हुई और इस तरह 20 फरवरी, 1948 को जूनागढ़ भारत का हिस्सा बना। हैदराबाद भी देश की बड़ी रियासत हुआ करती थी जिसका क्षेत्रफल इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के कुल क्षेत्रफल से बड़ा था। हैदराबाद के निजाम अली खान आसिफ ने फैसला किया कि उनका रजवाड़ा ना तो पाकिस्तान और ना ही भारत में शामिल होगा। हैदराबाद में निजाम और सेना में वरिष्ठ पदों पर मुस्लिम हुआ करते थे लेकिन वहां की लगभग 85 प्रतिशत आबादी हिंदू की थी। निजाम ने 15 अगस्त, 1947 को हैदराबाद एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया और पाकिस्तान से हथियार खरीदने की कोशिश करने लगे। तब पटेल ने ऑपरेशन पोलो के जरिए सैन्य कार्यवाही की। 13 सितंबर, 1947 को भारतीय सेना ने हैदराबाद पर हमला किया और 17 सितंबर को हैदराबाद की सेना ने हथियार डाले।जब भारत आजाद हुआ तो देश में छोटी-बडी़ 562 रियासतें थीं और इन रियासतों का स्वतंत्र शासन में यकीन था और ये सोच ही सशक्त भारत के निर्माण में बाधा थी। सरदार पटेल तब अंतिम सरकार में उप प्रधानमंत्री के साथ देश के गृहमंत्री भी थे। ब्रिटिश सरकार ने इस रियासतों को छूट दी और कहा कि वे स्वेच्छा से भारत या पाकिस्तान में जाकर रह सकते हैं या फिर स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखे। ऐसा करने के लिए पटेल ने काफी काम किया और इसका ये असर हुआ कि ये रियासतें धीरे-धीरे खत्म हो गई।