चंद्रयान-2 को ले कर अब किया गया है बड़ा दावा, नासा ने खुद की भारत की मदद
अंतरिक्ष से जुड़ी बातों को जानने के लिए हम सभी उत्सुक रहते हैं और पिछले दिनों जब विक्रम लैंडिंग असफल रहा तो पूरा देश इस असफलता पर रोया था। मगर इसके बारे में कोई सुगबुगाहट नहीं मिल पा रही थी, नासा ने भी इसके मलबे को खोजने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। मगर अब ऐसा लग रहा है कि क्या मिल गया है चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर का मलबा? इसके बारे में आपको बताते हैं विस्तार में।
क्या मिल गया है चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर का मलबा?
अमेरिकी अंतरिक्ष एदेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेर एक बड़ा खुलासा ऑफिशियल तौर पर किया है। नासा ने ट्वीट करके बताया है कि उसके उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान के विक्रम लैंडर को ढूंढ लिया। नासा के किए गए दावे के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा उसके क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला था। मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2X2 पिक्सेल हैं। नासा ने रात के करीब 1.30 बजे विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर जारी की और बताया कि उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े मिले हैं।
The #Chandrayaan2 Vikram lander has been found by our @NASAMoon mission, the Lunar Reconnaissance Orbiter. See the first mosaic of the impact site https://t.co/GA3JspCNuh pic.twitter.com/jaW5a63sAf
— NASA (@NASA) December 2, 2019
नासा के मुताबिक विक्रम लैंडर की एक तस्वीर एक किलोमीटर की दूरी से ली गई है और इसमें सॉइल इम्पैक्ट भी देखा गया है। इस तस्वीर को देखकर साफ लग रहा है कि चांद की सतह पर जहां विक्रम लैंडर गिरा वहां सॉइल डिसटर्बेंस (मिट्टी को नुकसान) भी हुआ है। आपको बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने नासा से संपर्क किया है और विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की जानकारी के बारे में पूरी रिपोर्ट मांगी है। जानकारी के मुताबिक, नासा इसरो को एक पूरी रिपोर्ट सौंपेगा जिसमें विक्रम लैंडर से संबंधित ज्यादा जानकारी मिल सके। इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम के बारे में सूचना देने की पूरी उम्मीद दी है, क्योंकि उसका लूनर रिकनैनैंस उसी स्थान के ऊपर से गुजरने वाला था, जिस जगह पर भारती लैंडर विक्रम के गिरने की संभावना जताई गई।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इससे पहले भी बताया था कि उसका एलआरओ 17 सितंबर को विक्रम की लैंडिंग साइट से गुजरा था और इस क्षेत्र की हाई-रिजोल्यूशन तस्वीरें मिली थीं। आपको बता दें कि इससे पहले नासा के लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर कैमरा की टीम को लैंडर की स्थिति साफ तो नहीं दिखी लेकिन इस बारे में बताते हुए नासा ने कहा, ‘जब लैंडिग क्षेत्र से हमारा ऑर्बिटर गुजरा तो वहां धुंधलका था और इसलिए छाया में अधिकांश भाग छिपाया। संभव है कि विक्रम लैंडर परछाई में छिपा है। एलआरओ जब अक्टूबर में वहां से गुजरेगा तब वहां प्रकाश अनुकूल होगा और एक बार फिर लैंडर की स्थिति या तस्वीर लेने की कोशिश होगी।’