अब घाटी में सेना की मुश्किलें बढ़ाने वालों की खैर नहीं, एनकाउंटर वाली जगह के 3 किमी इलाके में आना पड़ सकता है महंगा!
हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद घाटी में शुरू हुई पत्थरबाजी को नोटबंदी ने ख़त्म कर दिया था. लेकिन एक बार फिर जम्मू और कश्मीर में अलगाववादियों पत्थरबाजों और आतंकियों के हौसले बुलंद हैं. तो वहीँ भारतीय सेना भी इनके खिलाफ अब और सख्त रवैया अपना चुकी है.
जम्मू-कश्मीर में एडवाइजरी जारी-
जम्मू और कश्मीर की सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है जिसके तहत आतंकियों और सेना के बीच चल रहे एनकाउंटर में सेना की मुश्किलें बढ़ाने पर ऐसा करने वाले की खैर नहीं होगी. एडवाइजरी में उस स्थान के आसपास भटकने वालों के लिये चेतावनी दी गई है, जहाँ कहीं भी पत्थरबाजों और आतंकियों से सेना की मुठभेड़ चल रही है. अगर वहां से 3 किलोमीटर तक कोई पाया जाता है तो उससे सेना अपने तरीके से निपटेगी.
पत्थर चलाओगे तो गोली खाओगे –
इससे पहले सेना प्रमुख बिपिन रावत ने भी अलगाववादियों और पत्थरबाजों को चेतावनी दी थी और कहा था कि सेना के अभियान के दौरान जिसके हाथ में पाकिस्तान के झंडे दिखेंगे या कोई जो कोई आतंकियों की मदद करता मिलेगा उसकी खैर नहीं होगी. जनरल रावत ने खुले तौर पर साफ़ शब्दों में कहा था कि अगर पत्थर चलाओगे तो गोली खाओगे.
दरअसल बीते कुछ समय से अलगाववादियों ने जम्मू कश्मीर में जनता को खूब भड़काया है, नतीजतन आतंकियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन में ग्रामीण लोग दिक्कत पैदा करते हैं और पत्थरबाजी शुरू कर देते हैं. बीते कुछ महीनों से जम्मू कश्मीर में ये ट्रेंड बन गया है. जब सुरक्षाबल किसी आतंकी को घेरते हैं तो स्थानीय लोग उनपर पथराव शुरू कर देते हैं ताकि आतंकी सलामती के साथ फरार हो सके.
इतना ही नहीं ग्रामीणों को इस काम के लिये अच्छी मात्रा में पैसे भी दिये जा रहे हैं. और सेना के अभियान में दिक्कतें पैदा करने के लिये उकसाया जा रहा है. सेना प्रमुख ने इस मामले में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है और राज्य सरकार को साफ़ कह दिया है कि नागरिकों को इस बात के लिये आगाह कर दिया जाये कि सेना के ऑपरेशन में दिक्कत करने पर उनकी खैर नहीं रहेगी.
कश्मीर में एकबार फिर हिंसा भड़कने लगी है, और कुछ राजनैतिक दल विपक्ष में होने के कारण सरकार और सेनाप्रमुख की निंदा कर रहे हैं जिससे आतंकियों को एकबार फिर हौसलाफजाई मिल रही है. एक बार फिर कश्मीर की सड़कों पर पत्थरबाज उतर आये हैं, पाकिस्तान और आईएसआईएस के झंडे लहराए गये. जिसके पीछे कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान का हाथ है.
खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट्स में यह खुलासा हुआ है कि साल 2015 में आतंकवादियों को 38 करोड़ रूपये की फंडिंग दी गई थी जिसका प्रयोग हिंसा भड़काने, सुरक्षा बलों के ऑपरेशनों में बाधा पहुँचाने और अलगावादी गतिविधियों को बढ़ाने में किया गया. ये पूरा फण्ड पाकिस्तान की तरफ से अलगाववादियों को उपलब्ध कराया गया था.
अब जम्मू कश्मीर राज्य में पंचायत के चुनाव होने हैं. ऐसे में एकबार फिर शांतिभंग के प्रयास में बढ़ोत्तरी हो चुकी है. अगर चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गये तो पाकिस्तान का मकसद पूरा नहीं हो पायेगा. बीते दिनों सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौपी थी जिसमें इस बात का उल्लेख है कि घाटी में हिंसक माहौल बनाकर चुनाव को टलवाये जाने की कोशिश की जा रही है.