जानिये कलाई पर क्यों बाँधा जाता है मौली का धागा और किस तरह से यह आप की रक्षा करती है
पूजा या यज्ञ शुरू करने से पहले हाथों में मौली का धागा बांधा जाता है। शास्त्रों में मौली के धागे को बेहद ही पवित्र माना गया है। मौली शब्द का मतलब ‘सबसे ऊपर’ होता है। वहीं कई लोग इसे कलावा भी कहते हैं। जबकि पुराणों में इसे उप मणिबंध कहा जाता है। इसे बांधते हुए पूजा या यज्ञ करने का संकल्प लिया जाता है। इसलिए इसे संकल्प सूत्र भी कहा जाता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में मौली के धागे को रक्षा-सूत्र के तौर पर बांधा था। जिसकी वजह से ये भी कहा जाता है कि इसे बांधने से हमारी रक्षा नकारात्मक ऊर्जा से होती है। मौली को बांधते समय नीचे बताए गए मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करते हुए अगर मौली को बांधा जाए तो ये धागा सिद्ध हो जाता है।
‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’
किससे बनता है मौली का धागा
तीन धागों को जोड़कर मौली का धागा बनाया जता है। ये धागे लाल, पीले और हरे रंग के होते हैं। इस धागे को कच्चे धागे (सूत) से बनाया जाता है। ये 3 धागे त्रिदेव को दर्शाते हैं। जबकि कई बार पांच धागों से भी मौली बनाया जाता है और ये रंग लाल, पीला, हरा, नीला और सफेद होते हैं। पांच धागों वाला मौली पंचदेव को दर्शाता है।
कैसे बांधे मौली का धागा
मौली के धागे को हाथ की कलाई में बांधा जाता है। कलाई के अलावा आप इसे गले और कमर में भी बांध सकते हैं है। पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में मौली का धागा बांधा जाता है। जबकि विवाहित स्त्रियों के बाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है।
कई बार पेड़ की पूजा करते हुए पेड़ को भी ये धागा बांधा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पवित्र पेड़ पर अगर ये धागा बांधा जाए तो मन्नत पूरी हो जाती है। इसके अलावा कलश पर या कोई नई वस्तु खरीदे जाने पर भी उसपर मौली का धाग बांधा जाता है।
मौली बांधने के नियम
मौली का धागा बांधते समय आप नीचे बताए गए नियमों का पालन जरूर करें।
- इस धागे को बांधते समय आप अपने हाथ की मुट्ठी बंद रखें और मुट्ठी के अंदर पैसे भी रखें। ऐसा माना जाता है कि ये धागा बांधते समय मुट्ठी कभी भी खाली नहीं होनी चाहिए। मुट्ठी में पैसे रखकर अगर ये बांधवाया जाए तो धन में बरकत होती है।
- मौली को बांधवाते समय आपका सिर कपड़े ये ढका होना चाहिए।
- मौली को बांधते समय इसे तीन बार से अधिक ना लपेटे।
कब बांधे ये धागा
- किसी भी तरह की पूजा या हवन करने पर इसे बांधा जा सकता है।
- किसी भी पर्व के दौरान भी मौली का धागा बांधना शुभ होता है।
- इसे बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है।
- अगर आप मौली का धागा उतारकर नया धागा बांधना चाहते हैं, तो मंगलवार और शनिवार के दिन ऐसा करें। वहीं पुराने मौली के धागे को उतारने के बाद उसे पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें।
- संक्रांति के दिन मौली बांधना अच्छा माना जाता है। इसलिए आप संक्रांति के दिन सुबह स्नान कर इस धागे को बांध सकते हैं।